बुधवार, 9 दिसंबर 2009

कूर्ग की वादियां




मेरे एक मित्र हैं - सुरेश मार्तण्ड बिदरकर, जो अब बेंगलुरु में बस गए हैं। उन्होंने अपना एक छोटा सा यात्रावृत्त भेजा है, जिसे मैं आप लोगों से बांटना चाहता हूँ।


कर्नाटक का एक जनपद है कूर्ग, जिसे स्वतंत्र भारजनीतित की ‘राक प्रथा’:) के अनुसार नाम बदल कर अब कोडुगु कर दिया गया है। यहाँ पर एक पहाडी इलाका है जिसे अंग्रेज़ों के समय में मरकारा कहा करते थे और अब मडिकेरी कहा जाता है। यह इलाका पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी रहा है



मडिकेरी के ब्रह्मगिरी की ऊंचाई पर एक मधुबन है जहां ‘राजा का सिंहासन’ स्थित है। बताया जाता है कि आदिवासी राजा यहाँ से राजकीय कार्य करता था। यह सिंहासन आज भी सुरक्षित है और सरकार के संरक्षण में इसकी देखभाल होती है।



कोडुगु की इन पहाडी वादियों ने तिब्बती विस्थापितों को भी आकर्षित किया है। उनके लिए यहाँ के कुशलनगर में एक मंदिर बनाया गया है जिसे ‘स्वर्ण मंदिर’ कहते हैं।


कोडुगु जनपद का इतिहास भव्यशाली रहा है। यहाँ पर गंग, कोंगल्व, चेंगथाल्व, होयसाला, विजयनगर और बेलूरु के राजाओं का राज रहा। अंग्रेज़ों के आधिपत्य के पूर्व यहाँ कोडुगु राजाओं का राज्य था।





सन्‌ १९७१ में इस जनपद के मडिकेरा किले के गिरजाघर में एक संग्रहालय की स्थापना की गई। फ़ील्ड मार्शल के.एम.करियप्पा ने अपने संग्रहित किए गए कई प्राचीन व बेशकीमती वस्तुओं को इस संग्रहालय को दान में दे दिया। आज भी यह संग्रहालय पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

10 टिप्‍पणियां:

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

यह एक बहुत ही शांत और सुन्दर स्थान है , मुझे यहाँ जाने का अवसर मिला है .यह वीरों की भूमि भी है . भारत के दोनों फील्ड मार्शल यहीं से हुए हैं जनरल करिअप्पा और जनरल मानेकशा. यहाँ की काफी और शहद प्रसिद्ध हैं. कावेरी का उद्गम भी इसी क्षेत्र से है - तल कावेरी .

अर्कजेश ने कहा…

वाह बहुत मनोरम स्‍थल है । साथ ही संग्रहालय भी ।

Khushdeep Sehgal ने कहा…

बिना धेला खर्च किए कुर्ग की सैर कराने के लिए आभार...

जय हिंद...

ghughutibasuti ने कहा…

रोचक जानकारी। वैसे कूर्ग की संस्कृति पर भी कुछ लिखें तो बढ़िया रहेगा।
घुघूती बासूती

डॉ टी एस दराल ने कहा…

दक्षिण भारत के इस क्षेत्र में ज़ाने का अवसर अभी नही मिला।
आपने अच्छी सैर करवा दी।
अच्छी जानकारी के लिए आभार।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति, प्रसाद जी !अकसर शांत जगहे ही उन्नत योद्धा पैदा करती है !

ab inconvenienti ने कहा…

@ Dr Mahesh sinha

FM Sam Manekshaw was not from coorg. His parents were from Valsad (Gujarat Coast), later settled in Amritsar where he was born.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हमारे लिए एकदम नई जानकारी!
ये जीवन्त चित्र पोस्ट की प्रमाणिकता सिद्ध करते हैं!

alka mishra ने कहा…

चित्र सुन्दर लगे
धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

rochak jaankaaree ke liye saadhuwad!