होमी जेहांगीर भाभा की जन्म-शताब्दी [१९०९-१९६६]
भारत के महान सपूत, युगदृष्टा, वैज्ञानिक एवं पथप्रदर्शक होमी जेहांगीर भाभा को देश की परमाणु-शक्ति का पितामह कहा जा सकता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने एक आधुनिक देश का सपना देखा था जहाँ तकनीक और विज्ञान के आधार पर उन्नति की जा सकेगी। देश के महान वैज्ञानिक होमी जे. भाभा ने भी ऐसा ही सपना संजोया था कि भारत एक शक्तिसम्पन्न देश हो। राजनीति और विज्ञान का यह संगम हुआ और देश ने परमाणु विज्ञान की दिशा में पहला कदम उठाया।
सन् १९०९ई. में होमी जे. भाभा का जन्म मुम्बई के एक अमीर पारसी घराने में हुआ। सन् १९३५ई. में केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। सन् १९४४ई. में बेंगलूर के इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस में रीडर की पोस्ट पर कार्यरत रहे। परंतु युवा वैज्ञानिक में कुछ बडा़ करने की ललक थी। उन्होंने उस समय के बडे़ उद्योगपति सर जमशेदजी टाटा को पत्र लिख कर कहा कि भारत की प्रगति के लिए एक विज्ञान और तकनीक अनुसंधान कार्यशाला की आवश्यकता है। सर जमशेदजी टाटा ने इस युवा वैज्ञानिक की इच्छाओं का सम्मान करते हुए ‘टाटा इस्टिट्यूट ऑफ़ फ़ंडमेंटल रिसर्च’ की स्थापना की और भाभा को इसका अध्यक्ष बनाया। इस इंस्टिट्यूट का सालाना बजट था केवल अस्सी हज़ार रुपये!!
पं. जवाहरलाल नेहरू ने इस ऊर्जावान युवा वैज्ञानिक की क्षमता को पहचान कर उन्हें भारत की ‘एटामिक एनर्जी रिसर्च कमिटी’ का अध्यक्ष बनाया। उन्हें अपना कार्य करने की खुली छूट दी गई ताकि सत्ता में बैठे अधिकारी उनके कार्य में अडंगा न डाल सके। भाभा का मानना था कि यदि भारत को परमाणु मामले में चीन की शक्ति के आगे समर्पण नहीं करना है तो उसे भी आत्मनिर्भर होना होगा। उन्होंने इस दिशा में पहल की और इसीलिए उन्हें भारत के परमाणु विज्ञान का पितामह कहते हैं।
इसे एक विडम्बना ही कहा जाएगा कि २३ जनवरी १९६६ को जब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने पद की शपथ ले रही थी, तब देश से दूर जेनेवा की एटामिक एनर्जी कॉन्फ़रेंस के लिए जाते हुए इस होनहार वैज्ञानिक की मृत्यु मोंट ब्लांक हवाई दुर्घटना मे हो गई। यह हादसा था या कोई साजिश? इसका उत्तर तो शायद सरकारी फ़ाइलों में दफ़न हो!!!
4 टिप्पणियां:
महान वैज्ञानिक और देशभक्त श्री होमी जहाँगीर भाभा को शत शत नमन.
अच्छा याह दिलाया आपने। धन्यवाद।
" mahan vigyanik ko lakho salam "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
संजोने लायक चित्र . महान वैज्ञानिक को शत शत नमन. टाटा परिवार ने भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है . कल का टाटा इंस्टिट्यूट आज का इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस है
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