ब्लागर जेलेसी पेन बंद हो!
हिंदी ब्लाग जगत में यह कोई पहला अवसर नहीं था जब कोई संगोष्ठी हुई हो। पिछले वर्षों में इलाहाबाद, दिल्ली,.......आदि में ब्लागर मीट सम्पन्न हुए और सौहार्द बढ़ा।
अभी हाल ही में एक ब्लागर संगोष्ठी संगम की पावन धरती पर सम्पन्न हुई जिससे हिंदी ब्लाग जगत में एक खलबली सी मच गई। कारण? कई गिनाए जा रहे हैं:)
हिंदी साहित्य जगत के ‘ऐतिहासिक आलोचक’ नामवर सिंह इस संगोष्ठी के अध्यक्ष थे। यह तो सर्वविदित है कि नामवर जी भले ही रचनाधर्मिता कब के छोड़ चुके परंतु आज भी जहाँ वे पहुँचते हैं, वहाँ ख्याति अनायास ही पहुँच जाती है। इस ख्याति के पीछे उनके कुछ ऐसे चौंकानेवाले कथन होते हैं कि वही सब से बड़ा समाचार बन जाता है। जब वे इस ब्लागर संगोष्ठी में पहुँचे तो वही हुआ जो होना था!
इस संगोष्ठी का चर्चा में रहने का दूसरा मुख्य कारण था इसके ब्लाग जगत में तकनीकी खूबियों का सुंदर प्रस्तुतिकरण। ‘आँखों देखा हाल’ टाइप समाचार शायद हिंदी ब्लाग जगत में पहली बार देखने/पढ़ने को मिला। जिनके चित्र और नाम कई-कई ब्लागों पर दिखे, उनसे दूसरों को ‘ब्लाग जेलेस पेन’ होना स्वाभाविक था। इस तकनीकी सफ़लता के पीछे जो ब्लागर थे, उन्हें उनके आकार-प्रकार को लेकर भी व्यंग्य बाण चले!!!!
किसी भी बडे़ से बड़े कार्यक्रम में सभी को निमंत्रण देना असम्भव है। किसे निमंत्रण मिला- किसे नहीं, इसके कारण की तलाश होने लगी। इस पड़ताल में गुटबाज़ी के कयास लगाए गए। कानपुरिया बनाम जबलपुरिया, हिंदुत्त्ववादी बनाम सेक्युलरवादी, वामपंथी बनाम दक्षिणपंथी, हिंदी बनाम अंग्रेज़ी....यहाँ तक कि स्त्री बनाम पुरुष .... न जाने क्या-क्या कारण उछाले गए और ब्लागर जेलेसी पेन बढ़ता गया।
एक मुद्दा यह भी उछला कि जनता के पैसे पर ब्लागर मौज-मस्ती कर रहे हैं। अब इन लोगों को कौन समझाएं कि सरकार राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए करोडो़-करोड़ों का खर्चा कर रही है। कई संस्थाएं और अकादमियां विभिन्न राज्यों में खोली गई हैं जिनका करोड़ों का बजट है और हर वर्ष लाखों के पुरस्कार वितरित किए जा रहे हैं। यहाँ भी वही ब्लागर जेलेसी पेन देखने को मिला!! उसकी किताब छपी, मेरी क्यों नहीं? किस आधार पर यह पुस्तक छपी............????
ब्लागरों को यह समझने की आवश्यकता है कि इन संस्थाओं से वे भी लाभ उठा सकते हैं। यह संगोष्ठी मार्गदर्शन की तरह देखी जा सकती है। विभिन्न राज्यों में ब्लागर एक जुट होकर इसका लाभ उठा सकते हैं। आवश्यकता है तो बस इतनी कि अपने ब्लाग के प्रति इमानदार रहें, ब्लागर भाइयों[और बहनों] के प्रति आदर और सौहार्द बनाए रखें - ब्लागर जेलेस पेन से दूर रहें:)
[ब्लाग जगत को इस नई बीमारी की ओर ध्यान दिलाने के लिए भाई शिव कुमार मिश्र जी का आभार]
8 टिप्पणियां:
हम तो शु्रू से झण्डू बाम लगाये हैं! :-)
चलो अब सब की समझ में आ जाएगी आपकी बात।:-)
गूगल को ब्लॉग बनाने पर झंडू बाम मुफ्त देना चाहिए
पेन नहीं होगा तो सिर का पता कैसे चलेगा
हां ठीक कह रहे हैं आप इससे पहले कि ई पेन में कौनो फ़्लू का संक्रमण भी साथ हो जाए...उससे पहले ही सभी को झंडू बाम वितरित किया जाना चाहिये..हम तो अपना कोटा लेकर जा रहे हैं..बकिया लोग अपना अपना ले के जाएंगे..।
:)
Sahi kaha aapne...sehmat hain aapse...
neeraj
Bilkul sahi kaha aapne.....
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