बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

LAST DAY OF JINNAH

जिन्ना का अंतिम दिन

क़ायदेआज़म के निजी डॉक्टर रहे डॉ. इलाही बख़्श ने जिन्ना के अंतिम दिन का संस्मरण कुछ इस प्रकार दिया था:-

ज़ियारत से लौटने के बाद क़ायदेआज़म मुहम्मद अली जिन्ना की नाज़ुक काया को टी.बी. की बीमारी खाए जा रही थी। ११ सितम्बर १९४८ का वह दिन था जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कराची चलने के लिए तैयार है तो उन्होंने हामी भर दी। आश्चर्य की बात यह थी कि उन्होंने कुछ दिन पूर्व ही कराची जाने से मना कर दिया था। शायद उन्हें भी अब यह अहसास होने लगा था कि उनका अंतिम समय करीब है!

पूरी मेडिकल तैयारी के साथ उनके स्ट्रेचर को एम्बुलेंस से हवाई अड्डे पहुँचाया गया। गवर्नर-जनरल का हवाई जहाज़ धूप में दुर से ही चमक रहा था। जहाज़ ने उड़ान भरी। जिन्ना को साँस लेने में तकलीफ़ हो रही थी। आक्सीजन का मास्क लगाया गया जिसे वे बार-बार हटाने का प्रयास कर रहे थे; पर जब उन्हें उसकी ज़रूरत समझाई गई तो वे मुस्करा कर शांत हो गए।

मौरीपुर हवाई अड्डे पर जैसे ही जहाज़ पहुँचा, मिलिटरी सचिव कर्नल नोल्स एम्बुलेंस के साथ दिखाई दिए। जिन्ना को एम्बुलेंस में चढा़ने के बाद हम लोग दूसरी गाड़ी में बैठ गए। हमारा काफ़िला अभी चार मील भी नहीं तय कर पाया था कि एम्बुलेंस के इंजिन में खराबी आ गई और वह रुक गई। ड्राइवर ने २०-२५ मिनिट तक मश्शकत की पर गाड़ी ठीक नहीं हो सकी। दूसरे एम्बुलेंस को तलब किया गया। तब तक जिन्ना को इसी एम्बुलेंस में लेटे-लेटे पसीना आने लगा। नर्स हवा करती रही पर उनकी बेचैनी बढ़ती रही। पसीने से सारे कपडे़ तरबतर हो गए.... पल्स कमज़ोर और धीमी होने लगी। मैंने फ़ौरन थर्मास से चाय निकाल कर पीने को दी। मन ही मन प्रार्थना करता रहा कि किसी तरह सही सलामत घर तक पहुँच जाय। ऐसा न हो कि इस देश के क़ायदेआज़म का अंत इस तरह सड़क के किनारे हो!

यह भी एक विड़म्बना ही थी कि इस देश का राष्ट्रनायक इस तरह असहाय सड़क के किनारे अपनी अंतिम साँसें गिन रहा था और इससे अनभिज्ञ उसके अगल-बगल से कई गाड़ियाँ गुज़र रही थी। जैसे ही दूसरा एम्बुलेंस पहुँचा, हमने उनके स्ट्रेचर को उस में चढ़ाया और आगे की यात्रा तय की। मौरीपुर हवाई अड्डे से गवर्नर-जनरल की कोठी की दूरी केवल ९-१० मील है पर इस यात्रा को तय करने में हमें दो घंटे लगे।

११ सितम्बर १९४८ की शाम के ६-०० बजे हम जब कोठी पहुँचे तो मैने राहत की साँस ली परंतु जिन्ना अपनी साँसों से जूझते रहे। अंततः रात के करीब १०-०० बजे उन्होंने अपनी अंतिम साँस ली॥


Based on the account given by Dr. Ilahi Baksh - Source: Jinnah-India-Partition-Independence; By Jaswant Singh.

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