हिंदी का शिक्षण पूर्णतः वैज्ञानिक और सरल है
जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के विदेश अध्ययन विभाग में आयोजित दो दिवसीय अंतर राष्ट्रीय हिंदीसंगोष्ठी का उद्घाटन जापान में भारत के कोंसुलेट जनरल एवंसाहित्यकार श्री विकास स्वरुप ने २८ नवम्बर को किया! इस संगोष्ठी में हिंदी एवं उर्दू के शिक्षण से जुड़े जापानी,भारतीय और पाकिस्तानी विद्वानों के साथ ही ओसाका विश्वविद्यालय में हिंदी और उर्दू पढ़ने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों ने बड़े उत्साहसे भाग लिया!
अपने उद्घाटन भाषण में श्री स्वरुप ने कहा कि हिंदी आज पूरे विश्व में फ़ैल रही है हैऔर जापान में तो हिंदी पढ़नेवालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है,जो एक बहुत अच्छी बात है! उन्हों ने कहा कि हिंदी को प्यार की भाषा के साथ अब व्यापार की भाषा भी बनाना होगा,तभी पूरी दुनिया में हिंदी का प्रभाव देखा जा सकेगा!
अंतरराष्ट्रीय हिंदी संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए भारत के उत्तराखंड राज्य के रूडकी नगर से आए हिंदी विद्वान डॉ.योगेन्द्र नाथशर्मा"अरुण" ने कहा कि हिंदी विश्व की एक मात्र ऐसी भाषा है,जिस में जो लिखा जाता है,वही पढ़ा जाता है और जो पढ़ा जाताहै,वही बोला जाता है! डॉ."अरुण" ने बताया कि हिंदी का आधार ध्वनि है,इसी लिए हिंदी की यह विशेषता है कि यहाँ प्रत्येक अक्षर का स्थान निर्धारित होता है,जिस कारण हिंदी का शिक्षण अत्यंत वैज्ञानिक और सरल है!
डॉ. "अरुण" के व्याख्यान को अत्यंत मूल्यवान और महत्त्व पूर्ण बताते हुए जापानी हिंदी विद्वान प्रोफ़ेसर हुजी कामी ने कहा कि डॉ."अरुण'ने आज हिंदी को लेकर हमारी अनेक कठिनाइयों का जिस आसानी से निराकरण कराया, उस से हम बहुत प्रभावित हुए हैं! पाकिस्तान के प्रोफ़ेसर डॉ. अनवार ने 'सन्देश रासक' नमक अब्दुल रहमान की रचना को मुल्तान के कवी की रचना बता कर कहा कि हम इसी के माध्यम से आज भी खुद को हिंदुस्तान से जुड़ा महसूस करते हैं!
संगोष्ठी में केरल के पूर्व प्रोफ़ेसर डॉ. कुंजू मेत्तर, भारतीय ज्ञान पीठ के निदेशक श्री रवींद्र कालिया और भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद्, नई दिल्ली के निदेशक श्री अजय कुमार गुप्ता ने भी भागीदारी की!
4 टिप्पणियां:
यही लय बनी रहे हिन्दी की।
यकीनन हिन्दी सर्वथा वैज्ञानिक भाषा है
यह तो बड़ी अच्छी खबर है
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भाषा दिलों को जोडती है। अब हमारी राष्ट्रीय भाषा 'हिंदी' विश्वस्तर पर जानी जायेगी ' । इस संगोष्ठी के विषय में जानकार हर्ष हुआ।
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