हिंदी ब्लाग जगत में बहुत सी ऐसी बहसें चल रही है कि कुछ लिखने में भी डर लगता है कि कौन किस बात का गलत अर्थ निकाल लें! इसीलिए माहौल को हल्का करने के लिए एक चुटकुला ही सही :-)
ग्यारह लोग एक हेलीकाप्टर से रस्सी से लटक रहे थे - दस पुरुष और एक महिला। रस्सी कमज़ोर थी और केवल दस का भार ही सह सकती थी। इसलिए किसी एक व्यक्ति को रस्सी छोड़ना था, वर्ना सब की जान को खतरा था। अब बलिदान कौन करे?
महिला ने भावुक होकर भाषण देना शुरू किया। उसने कहा कि वह स्वेच्छा से रस्सी छोड़ रही है, क्योंकि त्याग करना स्त्री का स्वभाव है। वह रोज़ ही अपने पति और बच्चों के लिए त्याग करती है और व्यापक रूप से देखा जाये तो स्त्रियां पुरुषों के लिए निःस्वार्थ त्याग करती ही आई है।
पुरुष भावविभोर हो उठे। जैसे ही महिला ने अपना भाषण समाप्त किया सभी एक साथ ताली बजाने लगे :-)
साभार - डेली हिंदी मिलाप [३ जनवरी २०१०]
20 टिप्पणियां:
ha ha ha ha ha ha
माहौल का तो पता नहीं , रस्सी जरूर हल्की हो गई ,ग्यारह गिरा दिए गए न ताली बजवाने के चक्कर में
मजे दार जी
चुटकुले तक तो ठीक है.
काश कि पुरुष इतने ही भावुक मूर्ख हुआ करते!
वाह!!!! बहुत जोरदार।
हा हा हा हा ।:-)
आपको नमन....
हम विदुषियाँ !!! ..:)
ठीक ही तो किया ...servival of the fittest....:):)
हा हा हा हा हा
हमारे भोलेपन से धोखा मत खाना ...हम हमेशा दिल से नहीं सोचती ...हा हा हा ....!!
बेचारी अकेली रह गयी हा हा हा
हा.. हा ..हा ..
इसीलिये तो कहा गया हैः
त्रिया चरित्रम् पुरषस्य भाग्यम् .....
:-)
mazedaar...........
masaaledaar ........
ha ha ha ha
ऐसा तो उसने भी नहीं सोचा होगा :)
बड़ी ही चरित्रहीन रही होगी ९ पुरुषो के साथ सफ़र कर रही थी !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
हा हा हा ! सारे मर्द एक जैसे होते हैं।
बहुत खुब , मजा आ गया ।
हा हा हा
maja aa gaya
bhagyodayorganic.spotblog.com
:)
सही है महिला सबको तालियाँ बजवा कर ही आपनी जान बचा लेती हैं!!!
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