शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

महादेवी वर्मा के स्मृति चिह्न.

महादेवी वर्मा की धरोहर

हंस’ पत्रिका के नवम्बर अंक में दुधनाथ सिंह, इलाहाबाद का एक पत्र छपा है जिस से पता चलता है कि प्रसिद्ध साहित्यकार महादेवी वर्मा की जायदाद को लोग हडपने की ताक में है। दूधनाथ जी का यह पत्र एक चेतावनी और ‘हंस’ के जुलाई अंक में छपे समाचार के उत्तर में है। दूधनाथ जी का वह पत्र यथावत यहां दिया जा रहा है :--


आदरणीय राजेन्द्र जी,
‘हंस’ जुलाई २००९ के अंक में श्री भारत भारद्वाज को लिखे श्री बटरोही के पत्र का उद्धृत अंश पढ़ा, इस सम्बन्ध में मुझे निम्नलिखित बातें कहनी हैं:

१. बटरोही से सिर्फ़ यह बात पूछी जानी चाहिए कि उन्होंने दिनांक ३०-०१-१९९५ को यू/एस.३४ आर.आर.आई.एक्ट के अंतर्गत ‘मीरा कुटीर’ [रामगढ़ में महादेवी का घर] और उसके परिसर से महादेवी वर्मा का नाम खारिज करने की अर्ज़ी तहसीलदार, नैनीताल के समने दी थी या नहीं? और यह अर्ज़ी उन्होंने अकेले अपने नाम से दी थी या नहीं? और इस अर्जी पर जो फैसला ०३-०७-९५ को हुआ, उसमें ‘मीरा कुटीर’ को ग्राम-सभा में हस्तांतरित करते हुए महादेवी का नाम रेवेन्यू रेकार्ड्स से हटा दिया गया था या नहीं?

इन बातों का स्पष्टीकरण देने के बजाय श्री बटरोही उद्धृत पत्रांश में इधर-उधर कन्नी काट रहे हैं और तथ्यों को डकारने और सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।

२. यह सच है कि अपनी किताब लिखते वक़्त तथ्य-संकलन के दौरान मैने बहुत सारे लोगों से सामग्री की मांग की और उनमें श्री बटरोही भी है। बटरोही जी ने कुछ सामग्री भेजी भी, लेकिन ‘मीरा कुटीर’ से महादेवी वर्मा का नाम खारिज कराने के लिए जो अर्जी उन्होंने तहसीलदार, नैनीताल के सामने लगाई थी उसे और उसके फसले को दबा गए। क्योंकि इससे बटरोही का असली चेहरा उजागर होता था। श्री बटरोही को यह मालूम होना चाहिए कि एक चीज़ कचहरी भी होती है, जहाँ से किसी भी मुकदमे की फ़ाइल की नकल फ़ीस जमा करके प्राप्त की जा सकती है।

३. श्री बटरोही अपने उद्धृत पत्रांश में बार बार ग्राम-प्रधान ग्राम प्रधान की रट लगाए हुए हैं और असली बात से कतरा रहे हैं। दरअसल मुकदमा श्री लोकमणि जोशी और श्री हरिश्चंद्र जोशी ने किया है, और अपने नाम से किया है, ग्राम-प्रधान की हैसियत से नहीं। यह ग़लतबयानी की हद है। अपनी किताब में मैंने सिर्फ़ इतना ही कहा है कि एक ओर आप ‘महादेवी वर्मा सृजनपीठ’ बना रहे हैं और दूसरी ओर ‘मीरा कुटीर’ से उनका नाम खारिज करने कि अर्ज़ी भी लगा रहे हैं, यह महादेवी वर्मा का अपमान है। कौन ऐसा है जो इसे अपमान नहीं मानेगा?

४. व्यक्तिगत तौर पर मेरा यह मानना है कि क्योंकि यह लाभ का पद है इसलिए श्री बटरोही उल्टा-सीधा करके वहाँ चिपके हुए हैं और लगातार सचिव बने हुए हैं। पिछली सरकार के लगभग करोड़ रुपए के अनुदान से ‘महादेवी सृजनपीठ’ के पास पैसा ही पैसा है। श्री बटरोही ने पिछले वर्ष की संगोष्ठी में उद्‌घाटन के लिए मुझे आमंत्रित भी किया था लेकिन उपर्युक्त तथ्यों की जानकारी के बाद मैं नहीं गया।

५. ‘टैगोर टॉप’ के बारे में जानकारी मैंने इसलिए चाही थी कि महादेवी ने अपने गद्य-लेखन में उस घर का उल्लेख किया है, लेकिन श्री बटरोही इस बात को क्योंकर जानेंगे!

६. जहाँ तक बटरोही के ‘कलकटर साहब’ की बात है तो उन्हें यह मालूम ही होगा कि उनके ‘कलक्टर साहब’ अवैध खनन, मारपीट और हत्या आरोप में महीनों नैनी जेल में काट चुके हैं और इस वक्त ज़मानत पर बाहर हैं।

७. दर्‌असल महादेवी के सभी घर अवैध कब्ज़े में हैं और किसी भी धोखाधड़ी से बचने के लिए मेरा प्रस्ताव है कि सुरक्षा, रख-रखाव और स्मृति-चिह्न के रूप में उन सभी घरों को ‘नेशनल हेरिटेज’ के अंतर्गत ले लिया जाना चाहिए, क्योंकि ये घर हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं॥


‘हंस’ के नवम्बर २००९ अंक से साभार

10 टिप्‍पणियां:

Kavita Vachaknavee ने कहा…

चौर चौर मौसेरे भाई तो होते हैं, पर धरपकड़ में सारी मौसेरियत निकल जाती है| कमीने लोग सरस्वती से व्यभिचार करने वाले! थू!थू !

@ सीएमपी जी
जिस सामग्री को आप ब्लॉग पर डालते हैं, उसे समूह पर भेजे से बहुत काम बढ़ता है क्या? गलत बात है यह!!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

इस मंदबुद्धि को यह आइडिया सूझा ही नहीं :)
वाट एन आइडिया सरजी :)

SACCHAI ने कहा…

" badhiya sir"

----- eksacchai { AAWAZ }

राज भाटिय़ा ने कहा…

केरसे लालची भरे पडे है इस भारत मै, यह कमीने लोग तो अपनी मां बहन को भी बेच दे पैसो के लिये,
ऒर यह कलेकटर साहब जी तो ....जहाँ तक बटरोही के ‘कलकटर साहब’ की बात है तो उन्हें यह मालूम ही होगा कि उनके ‘कलक्टर साहब’ अवैध खनन, मारपीट और हत्या आरोप में महीनों नैनी जेल में काट चुके हैं और इस वक्त ज़मानत पर बाहर हैं।

वाह क्या बात है सभी चुने हुये हीरे है.
धन्यवाद आप का

रंजना ने कहा…

Kya kaha jaay......

रंजना ने कहा…

Aapse ek anurodh hai,aap kripaya apni post me ek line se neeche agle line ke beech ek line ka space rakha karen...isse padhne me suvidha hogi...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आदरणीय रंजना जी, आपके सुझाव को भविष्य के लिए नोट कर लिया है। आभार॥

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

रहिमन इस संसार में भाँति भाँति के लोग...
कुछ तो...

gazalkbahane ने कहा…

आज का रांझा हीर बेच गया
हीरे जैसा जमीर बेच गया
इक कबाड़ी को वो निरा जाहिल
मीर तुलसी -कबीर बेच गया

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सच में, यह सब देख 'दीप शिखा' रोती होगी !