आज रस परिवर्तन के लिये ताजा़ नन्हें मुक्तक प्रस्तुत हैं :
[१]
पांडु या कुरु
किसने किया शुरु
महाभारत युद्ध
कहो मेरे गुरु
[२]
बडा़ करे मैय्या
खेले बहन भैय्या
पत्नी मिल गई
नाते छोड़े सैंय्या
[३]
तुम चल तो दी
यह बता दो सखी
क्या करूं वो गुड्डी
थी तुम ने दी
[४]
सुनो मेरे बाप
मुझे बताएँ आप
दुख कैसे झेलूँ
मुझे मिला संताप
11 टिप्पणियां:
behad khubsoorat rachanaaye
छोटे-छोटे छंदों के जरिये बहुत गूढ़ बाते कह डाली आपने !
सुनो मेरे बाप
मुझे बताएँ आप
दुख कैसे झेलूँ
मुझे मिला संताप
क्या स्वाद है!
small is beautiful :)
कुछ व्यंग्य कुछ हास
अच्छा प्रयास
रंग ला रहा है
कलम का अभ्यास
बहुत सुंदर प्रस्तुति। मन अति प्रसन्न हुआ।
छोटी पर गजब की !!
अगे बाप गे........ई सड़सठ बरस का तोप में पच्चीस बरस वाला गोला.....तभ्भे तो हम बोला.....अगे बाप गे......!!
bahuta sundar muktak hain
बहुत सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....
आप के मुक्तकों ने मन मोह लिया...वाह...बहुत बहुत बधाई....
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