सोमवार, 10 अगस्त 2009

Nature's fury

प्रकृति का प्रकोप

प्रकृति ने फिर यह प्रमाणित कर दिया कि वह मनुष्य से अधिक बलवान है। जब मानव प्रकृति का आदर नहीं करता तो उसे इसका फल भोगना ही पडे़गा।

अभी हाल ही में ताइवान में आया तूफ़ान यह जतला गया कि पर्यावरण को ताक पर रख कर नदी के तट पर कई मंज़िला इमारत खडी़ करना मानव को कितना भारी पड़ सकता है। यह तो गनीमत हुआ कि केवल माल का नुकसान हुआ, जान का नहीं। इस इमारत के ढहने से पहले ही इमारत में रह रहे तीन सौ लोगों को खाली कर दिया गया था।

शायद प्रकृति इतने प्रतिशोध से शांत नहीं हुई। उसने चीन में विनाशकारी तूफ़ान मचा दिया , जिसे अब मोराकोत नाम दिया गया है। इस तूफ़ान में कई जानें गई और दस लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है।

क्या हम इस प्रकृति के प्रकोप से कोई सबक लेंगे???



3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

जब मानव प्रकृति का आदर नहीं करता तो उसे इसका फल भोगना ही पडे़गा।

-यह बात प्रकृति बार बार सिद्ध करती है और मानव है कि मानने को तैयार नहीं.

दर्पण साह ने कहा…

"जब मानव प्रकृति का आदर नहीं करता तो उसे इसका फल भोगना ही पडे़गा। "

sahi kaha ji aapne...

aaj se 2-3 saal pehle dekhi movie "an inconvintienal truth " ki yaad ho aie...

baar baar kehta hoon...
dharti ko bhukaar hai !!
iska upchaar karo....

zaldiiiiiiii....

विवेक सिंह ने कहा…

सबक तो लेना ही होगा आज नहीं तो कल !