बुधवार, 12 अगस्त 2009

लालच
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यक्ष : धनी की सबसे बडी़ कमज़ोरी?
धर्मराज: लालच!
यक्ष : संसार का सब से बडा़ आश्चर्य?
धर्मराज: मनुष्य के सिर पर सदा मृत्यु मंडराती रहती है पर वह इस सत्य को भूलकर ऐसा जीवन व्यतित करता है जैसे वह चिरंजीवी हो!

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प्रसिद्ध उद्योगपति बंधु घनश्याम और राधेश्याम का नाम शहर का बच्चा-बच्चा जानता है। इनका कारोबार घनश्याम राधेश्याम ब्रदर्सके नाम से देश के चारों ओर फैला हुआ है। इस विस्तत कारोबार का आरम्भ एक छोटी सी दुकान से हुआ था। उनके श्रम एवं भाग्य का परिणाम है कि आज उनका नाम देश के जाने-माने धनाड्यों में गिना जाता है।



पैसा हर बुराई की जड़ होता है - यह कहावत शायद उस समय से चली आ रही है जब से पैसे का चलन शुरू हुआ होगा। फिर भी, बहते पानी की तरह, हर आदमी उसी ढलान की ओर दौड़ता है जिधर पैसा होता है। उसी पैसे की खातिर आजकल दोनों भाइयों - घनश्याम और राधेश्याम, में मनमुटाव चल रहा है। दोनों भाई सम्पत्ति का बँटवारा करके अपने-अपने बलबूते पर कारोबार का विस्तार करना चाहते हैं।



महत्वकांक्षा जब किसी को घेर लेती है तो उसकी परछाईं लालच भला कैसे पीछे रहेगी। जब अलग होने की बात हुई तो घनश्याम ने अपने हिस्से में मार्के की सारी जायदाद चुनी। राधेश्याम को यह बात मंज़ूर नहीं थी। नतीजा यह हुआ कि बँटवारे में देर होने लगी। राधेश्याम ने कानून का दरवाज़ा खटखटाने की धमकी दी। इसका अर्थ यह था कि बँटवारे का मामला बीच बाज़ार में आ जाता और ख्याति को भी क्षति पहुँचती। घनश्याम नहीं चाहता था कि उसकी योजना में कोई ऐसी बाधा आए। वह किसी भी हालत में, किसी भी युक्ति से शीध्र फ़ैसला उसके इच्छानुसार चाहता था।



बडे़ उद्योगों को चलाने और रोकने के लिए पैसा और बाहुबल में चोली-दामन का साथ होता है। इन दोनों के योग से न जाने कितने मज़दूरों को रोज़ी-रोटी मिलती है और न जाने कितने मज़दूर घर से बेघर हो जाते हैं। घनश्याम ने सोचा कि अगर उसे अपने उद्योग का शीघ्र विस्तार करना है तो आनेवाले हर रोडे़ को रास्ते से हटाना ही होगा।



घनश्याम ने अपने विश्वस्त आदमी शंकर दादा को बुलाया और उससे मंत्रणा की। तय हुआ कि अब राधेश्याम अपने जूतों से बडा़ हो गया है और उसे रास्ते से हटाने में ही भलाई है। शंकर दादा राधेश्याम की दिनचर्या का पता लगाने में लग गया। रात के ग्यारह बजे तक राधेश्याम अपने घर की बैठक में पढ़ता रहता है। यह उसकी दिनचर्या का अभिन्न अंग है। घनश्याम ने जब यह बात शंकर दादा को यह बात बताई तो उसने सुझाया कि यही एक अच्छा समय होगा जब राधेश्याम को आराम से हमेशा के लिए आराम करने दिया जाय। मौका देख कर वह अपने एक विश्वस्त आदमी को इस काम के लिए लगा देगा, जो इतनी सफाई से इसे अंजाम देगा कि किसी को भी कोई सुराग नहीं मिलेगा।

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समाचार पत्रों मे एक सनसनीखेज़ समाचार मुख पृष्ठ की सुर्खी बना:
घनश्याम-राधेश्याम ब्रदर्सके सीनियर पार्टनर श्री घनश्याम की कल रात कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा हत्या कर दी गई। जिस समय हत्या हुई, वे अपना कार्य समाप्त करके घर लौट रहे थे। उनकी कार को एक सुनसान जगह रोक कर हत्यारों ने उन पर जानलेवा हमला किया। श्री घनश्याम के पार्टनर और छोटे भाई श्री राधेश्याम कारोबार के सिलसिले में विदेश गये हुए थे। जैसे ही उन्हें यह दुखद समाचार मिला, वे वापस आ रहे है और उनके आज रात तक यहाँ पहुँचने की सम्भावना है। पुलिस इस हत्या की जांच में लगी हुई है परंतु अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पूछताछ जारी है और पुलिस को आशा है कि हत्यारे शीघ्र पकडे़ जाएँगे।

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4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

sundar vyangya katha ke liye badhaaee!
shailee baandhane waalee hai.

ise oopar dharen [keep it up]!

Unknown ने कहा…

bahut hi umda !

Vinay ने कहा…

खेंच लाये यहाँ तक

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

धन्यवाद डॉ. ऋषभ देव शर्मा जी। आपका प्रोत्सहन ही तो है जो कुछ लिख पा रहे हैं।
भाई अलबेलाजी और नज़रजी का आभार कि इस ब्लाग की हौसलाअफ़ज़ाई की॥