एक अंग्रेज़ी दम्पत्ति की इच्छा -मृत्यु
विश्व के कई देशों में इच्छा मृत्यु को अवैध करार दिया गया है जिनमें भारत और इंग्लैंड जैसे देश भी हैं पर स्विज़रलैंड इसका अपवाद है। स्विज़रलैंड में इच्छा मृत्यु को जायज़ माना जाता है पर साथ ही इसकी कुछ शर्तें भी हैं। जो लोग इन शर्तों को पूरा करते हैं, वे वहाँ की सामाजिक संस्थाओं से सहायता लेकर इच्छा मृत्यु को अपना सकते हैं।
हाल ही में एक ऐसी ही संस्था डिग्निटास क्लिनिक में इंग्लैंड की एक सुप्रसिद्ध दम्पत्ति ने इच्छा मृत्यु को गले लगाया। संगीत के प्रसिद्ध कंडक्टर सर एडवर्ड डौन्स और उनकी पत्नि जोन अपनी आयु और बीमारी से परेशान थे। सर एडवर्ड - जो बीबीसी फिल्हार्मोनिक के कंडक्टर रह चुके थे, अपनी ८५ वर्ष की आयु में लगभग अंधे और बहरे हो चुके थे। उनकी पत्नी जोन केंसर से पीढि़त थीं। परिवार में पुत्र-पुत्रियाँ तो थे पर उन्हें अपना जीवन बोझ लगने लगा था। इसलिए उन्होंने इच्छा-मृत्यु का निश्चय लिया और ज़ूरिक के डिग्निटास क्लिनिक से सम्पर्क करके १० जुलाई २००९ को सदा के लिए सुख की नींद सो गए।
वर्षों से इस पर बहस जारी है कि इच्छा मृत्यु को जायज़ करार दिया जाय या नहीं और अब भी यह बहस जारी है....
4 टिप्पणियां:
जब जिन्दगी मौत से बदतर बन जाय तो मरने की छूट दी जानी चाहिए
।सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
mujhe vi yahilagata hai ki mout se battar jindgi ko ...khatam karane ka adhikar milani chaahiye
कई वृद्धों के बारे में सुना है कि उन्हें प्रिमोनीशन था अपनी मृत्यु के प्रति और कुछ समय से उन्होने भोजन त्याग किया था।
शायद विनोबा भावे ने भी ऐसा ही किया था।
इसके लिये सम्भवत: व्यक्ति आत्मोन्नति के एक उच्च स्तर पर होता है।
हम कोई राय कायम नहीं कर पाए अभी !
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