मंगलवार, 13 सितंबर 2011

भक्ति???



क्या यही हमारी भक्ति है?????



जिसे दस दिन तक पूजा,,, और आज!!!

15 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…


ढकोसला करते हैं हम लोग !
यह श्रद्धा नहीं, अपमान है श्रद्धा का !
शर्मनाक !

Suman ने कहा…

दस दिन तक सेवा करो
खाओ मेवा उद्देश हमारा
गणपति बाप्पा मोरया
पुढच्या वर्षी लवकर या !

SANDEEP PANWAR ने कहा…

काम हुआ, चलता किया, अब जाये भाड में।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

हम नहीं सुधरेंगे ।

Sunil Kumar ने कहा…

क्यों धर्म के ठेकेदारों से पंगा ले रहे हैं :)

Arvind Mishra ने कहा…

वीभत्स!

Arvind Mishra ने कहा…

वीभत्स!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

यह अपमान है ... श्रधा तो नहीं है ...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने... पूर्वाग्रह त्याग कर इस पर सभी को विचार करना चाहिए...

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

इसका मूल कारण है सिर्फ़ दिखावा करना ... और मनन तो भूल कर भी न करना ..... सादर !

सुनील गज्जाणी ने कहा…

पूर्वाग्रह त्याग कर इस पर विचार करना चाहिए.बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रवाहित !

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

इस सम्‍पूर्ण परम्‍परा पर पुन: विचार होना चाहिए।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

यही बात तो मुझे समझ नहीं आती ...
लाखों का खर्च कर फिर पानी में बहा देना ....?
ऐसा भी तो हो सकता है साल भर मूर्ति उसी स्थान पे रहे अगले वर्ष उसे ही फिर नया रूप दिया जाये ....

Amrita Tanmay ने कहा…

सामूहिक मनोरंजन का बढ़िया बहाना.