शनिवार, 16 जुलाई 2011

खुजली :)

आपस की खुजली

बात निकलती है तो बहुत दूर तक पहुँचती है।  अब देखिए ना, बात खुजली की हो रही थी तो साहित्य से होते हुए कामसूत्र तक पहुँच गई।  खुजली बड़े बड़े साहित्यकारों की रचना का विषय बन चुकी है।  बाबा नागार्जुन ने कुत्ते की खुजली का वर्णन किया है तो परबाबा आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने अनामदास का पोथा खोल कर एक पात्र की खुजली का वर्णन करते हुए कहा था कि उसे खुजली इसलिए हो गई कि राजकुमारी ने अपनी दृष्टि उसकी पीठ पर डाली थी।  उनसे बुज़ुर्ग साहित्यकार कालिदास ने भी हाथी की खुजली का सुंदर वर्णन किया था और बताया कि किस प्रकार हाथी देवदार जैसे विशाल वृक्ष से अपनी देह की मालिश करता है।  ‘मारे गए गुल्फ़ाम’ में रेणुजी ने हीरामन की खुजली का वर्णन किया ही है, पर वह तो एक देहाती की खुजली थी।  शायद उसे वात्सायन को बिना पढ़े ही उस खुजली की तलब हो गई थी।  कामसूत्र में उन्होंने कामांग के विशेष प्रकार की खुजली- कामकंडू का वर्णन किया है। बेचारा हीरामन....!  और फिर,  एक प्रसिद्ध लेखिका ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके पति को खुजली की शिकायत थी।  उस बीमारी का काफी इलाज किया गया पर कोई लाभ नहीं हुआ।  उनकी खुजली तब अपनेआप चली गई जब दोनों का विच्छेद हो गया।

यह तो हो गई बड़े-बड़े साहित्यकारों की बात। एक और किस्म की खुजली का पता चला था विश्व युद्ध के बाद जिसे चिकित्सकों ने ‘फ़ैंटम इच’ का नाम दिया था।  यह युद्ध में ज़ख्मी फ़ौजियों में पाई गई थी जिनके अंग काटे जा चुके थे।  उन लोगों ने ऐसे अंगों में खुजली की शिकायत की थी जो कट चुके हैं।  इसके कारण का पता लगाने के लिए बहुत खोजबीन की गई थी।  शोध से पता चला कि जिन अंगों को काटा गया है उन से जुड़े रगों ने यह सिग्नल मस्तिष्क को भेजा है।  

विज्ञान की बात चली तो बता दें की होमियोपैथी के जनक हैनेमॉन ने खुजली को एक बीमारी नहीं बल्कि बीमारी के तीन कारण- सोरा, सिफ़िलिस और सैकोसिस में से इसे सोरा का लक्षण बताया है।  खुजली तो शरीर के भीतर छिपे सोरा को बाहर लाने का प्रयास मात्र है।  इस खुजली को लक्षणों के आधार पर दवाई दी जाय तो भीतर छिपा सोरा भी ठीक हो जाएगा।  इसके लिए सौ से अधिक दवाइयां हैं होमियोपैथी में। [ इस पर विस्तार से चर्चा फिर कभी ।]

 अब रही हम जैसे अपढ़ों की बात।  बचपन में दादा पूछते थे- बेटा पीठ गुलगुला रही है क्या? और छड़ी उठा लेते थे।  हम भाग खड़े होते थे क्योंकि हमे तो मार खाने की खुजली थी नहीं।  किसी किसी को हाथों की खुजली होती है।  हाथ में खुजली कभी धन की आमद का संदेसा भी देती है।  कुछ को ज़बान की खुजली होती है।  वो चलती रहती है जैसे बस का टायर हो, कभी घिसती ही नही और रुकती भी नहीं।

सब से बेचैन करने वाली खुजली तो पीठ की खुजली होती है। इस खुजली का इलाज खुजलीवाले के हाथ में नहीं होता।  वह तो दूसरे के हाथ का मुहताज होता है। खुजानेवाला भी बेचारा पसोपेश में रहता है कि आखिर उसे खुजली कहाँ हो रही है।  वह तो दिलोजान लगा कर खुजाता है और उसे आवाज़ सुनाई देती है... यहाँ नहीं, ज़रा ऊपर, अरे वहाँ नहीं, ज़रा नीचे...  हाँ हाँ वहीं, ऊपर हड्डी के पास, नहीं नहीं थोड़ा नीचे। अंत में हार कर खुजानेवाला हाथ छोड़ कर सारी पीठ पर ही कंघी फिर देता है।

अंत में,  यह भी एक खुजली ही तो है कि हम ब्लाग लिख रहे हैं और पाठकों से आशा करते हैं कि टिप्पणी ठोंके।  इसी आशा से हम भी तो उनकी खुजली मिटाते हैं।  यही तो है ब्लाग की खुजली, तुम मुझे खुजाओ, मैं तुम्हें खुजाऊँ... है कि नै!!!

16 टिप्‍पणियां:

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

हुजूर !
खुजली मिटाने की तत्काल सेवा में आपका स्वागत है .....बताइये कितनी पोस्ट्स में खुजली मिटानी है ? मुच्युअल सेवा कैसी रहेगी ?

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

हुजूर !
खुजली मिटाने की तत्काल सेवा में आपका स्वागत है .....बताइये कितनी पोस्ट्स में खुजली मिटानी है ? मुच्युअल सेवा कैसी रहेगी ?

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

SATURDAY 7 NOVEMBER 2009

आत्म-प्रसंशा /Self Appreciation
प्राप्ति ....कमेंट्स की!

पीठ खुजाने में दिक्कत है?
आओ! एसा कर लेते है...
मैं खुजलादूं आपकी...
बदले में , मेरी ;
तुम खुजला देना.


एक हाथ से मैंने दी तो,
दूजे से तुम लौटा देना.


कर से, कर [tax] ही की भाँति
अधिक दिया तो वापस [refund] लेना.


-मंसूर अली हाशमी
http://aatm-manthan.com

संगीता पुरी ने कहा…

यही तो है ब्लाग की खुजली, तुम मुझे खुजाओ, मैं तुम्हें खुजाऊँ... है कि नै!!!
ह ह ह ह .. क्‍या खूब लिखा है !!

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

दादा जी की छड़ी से ही ‘सोरा‘ ठीक हो जाए तो ग़नीमत है। कभी कभी हाईकोर्ट भी दूर कर देता है ‘खुजली‘, फिर चाहे वे बीएसएफ़ के जवान ही क्यों न हों !!!
क्यों फैलती है खुजली ?
इस पर आपकी राय चाहिए ।
शुक्रिया !
समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape

Arvind Mishra ने कहा…

पता नहीं लोग बाग़ जो टिप्पणियाँ करते हैं वह किसी खुजली का परिणाम होती हैं अथवा नहीं !

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत बढिया।

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जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!

Suman ने कहा…

अरे बापरे ........खुजली के इतने सारे प्रकार ?
बढ़िया है !

निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

सर जी, Seven Year's Itch के बारे में तो आप लिखना ही भूल गए!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

पढ़ते पढ़ते ही खुजली होने लगी। स्नान करने जा रहा हूँ।

Sunil Kumar ने कहा…

अब खुजली तो मिटानी पड़ेगी वैसे खुजलाने में मज़ा बहुत आता है |

अजय कुमार ने कहा…

इसकी दवा तो गांव के बाजारों में माइक पर चिल्ला कर बेची जाती है ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हमें तो न जाने किस किस की खुजली होती रहती है।

Satish Saxena ने कहा…

लो जी भाई जी एक टिप्पणी इस बढ़िया खुजली पर .. ! मैं भी इंतज़ार करूंगा, आना जरूर :-)
हार्दिक शुभकामनायें ..

अभिषेक मिश्र ने कहा…

खुजली की खुजली दूर करती पोस्ट. :-)

बधाई.

बलविंदर ने कहा…

अरे भई वाह ! सच में सभी खुजलियों का अपना ही आनंद है या फिर यह कह सकते है कि खुजली भी मनुष्य की एक सहज प्रवृत्ति है और जहाँ तक दिमागी खुजली और दाग-खाज़ खुजली की बात करें तो उसका तो भई अपना ही आनंद है।
बहुत खूब ! साहित्य संदर्भों से भी खुजली को जोड़कर आपने सच में काफी सोचने को बाध्य किया। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !