एक अदद नौकरानी चाहिए
आज सुबह सवेरे संतोक सिंह घर पर टपका। मैने पूछा-‘क्या बात है सरदार, आज इतनी सुबह कैसे?’
‘अरे यार, क्या बताऊँ! हमारी नौकरानी चार दिन से गायब है। लियो के चाय के डब्बे पर गया था। लियो भी नहीं मिला। उसकी जोरू दुकान पर बैठी थी। उससे कहा कि नौकरानी चाहिए, एक दो दिन के लिए ही सही तो उसने बताया कि सारे लोग गाँव गए हैं, सालाना जातरा लगता है ना। अब तू ही बता मैं क्या करूं। तू तो जानता है, मेरी जोरू झुक नहीं सकती कमर दर्द के कारण। दो दिन से मैं ही पोछा कर रहा हूँ।’
मेरा मन अतीत की ओर दौड़ गया। संतोक जब घर बना रहा था तो उसने बताया कि वह ग्रेनाइट की फ़्लोरिंग कराना चाहता है। तब मैं ने कहा था कि सिमिट की फ़्लोरिंग करा ले ताकि मेंटेनेंस फ़्री रहे। ग्रेनैट की फ़्लोरिंग को सदा पोछा मारना पड़ता है। पोछा नहीं किया तो धब्बे दिखाई देंगे और देखने वाला कहेगा ‘ये नियोरिच के चोचले तो कर लिए पर मेन्टेन करना नहीं आता।’ दूसरी बात यह कि ग्रेनैट इतनी चिकनी होती है कि पैर फिसलने का डर रहता है। मैंने उसे मिसेस अरोरा का उदाहरण भी दिया था। अरोरा ने ग्रेनैट की नई नई फ़्लोरिंग कराई। एक दिन उसकी पत्नी दफ़्तर जाने की जल्दी में चल पड़ी। ग्रेनैट पर पानी पड़ा था। जल्दी में देख नहीं पाई। चिकने ग्रेनैट पर चिकने पैर पड़े। नतीजा...धडाम और कुल्हे की हड्डी टूट गई। दफ़्तर के बदले अस्पताल जाना पड़ा।
बात संतोक की समझ में आ गई थी पर पोश गेटअप का भूत सिर पर सवार था। उसने ग्रेनैट की बजाय मार्बल फ़्लोरिंग करा ली। और अब.... पोछा मारने के लिए मज़दूरनी के पीछे घूम रहा है।
मैंने उसे उस दिन की बात याद दिलाते हुए कहा-‘यार, तू उस समय मेरी बात मान लेता और सिमेंट की फ़्लोरिंग करा लेता तो आज यह झंझट नहीं न होती। नौकर नहीं भी है तो बस, झाडू फेर दो और कचरा साफ। पाश लुक के लिए एक अदद ग़लीचा डाल दो ड्राइंग रूम में।’
संतोक पहले से ही डिप्रेस्ड था। बोला-‘बीती बात छोड़ यार, अब तो एक अदद नौकरानी का सवाल है, नहीं तो मेरी जोरू घर में नहीं आने देगी।’ टीवी के एड की तरह मैंने भी डायलॉग मारा- ‘यार, तू जोरू से डरता बहुत है।’ फिर मैंने सुझाव दिया कि जाकर लियो से ही मिल। वही कुछ जुगाड़ लगा सकता है। उसके कहे मे दो-चार नौकर मजूर तो रहते ही हैं; आखिर वह चाय के डब्बे का मालिक है।
‘हाँ यार, वहीं जाना पड़ेगा, शायद अब तक लियो आ गया हो, कुछ न कुछ तो मज़दूरनी का इंतेज़ाम करना ही पड़ेगा, नहीं तो म...’ वह आगे कुछ कहने की बजाय अपनी मोटरसाइकिल के किक स्टार्टर को किक किया और चल दिया।
15 टिप्पणियां:
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समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
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सँतोख को नौकरानी मिले न मिले, मुझे आज आपका व्यक्तिगत ब्लॉग मिल गया ।
सच है, हाथी लेने से पहले लोग यह नहीं सोचते इसे खाने को डेढ़ मन और नहाने को 10,000 लीटर पानी चाहिये ।
पत्नियों का क्या... उनके लिये पति से अधिक महरी ( नौकरानी ) की चिन्ता रहती है !
समस्या तो है ....मगर पैदा भी तो हमी ने की है
अच्छी पोस्ट .....
घर का काम नहीं हो तो उससे बड़ी और क्या चिन्ता हो सकती है सकल विश्व में।
वाह, तो अब आप इस पर भी हाथ साफ़ करने लगे हैं. बधाई!
बस यूँ ही...............
क्या बात है बहुत सुंदर है !
संतोक का डर वाजिब है आजकल
मजदूरनी मिलना बहुत मुश्किल हो गया है :)
दो दिन से मै ही पोछा कर रहा हूँ पर
भाई जी, विश्वास नहीं होता ...........
यहाँ भी शादियों का सीजन है तो कामवाली शादी में गयी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि सारा दिन नहीं तो दो घण्टे के लिए तो दूसरी की व्यवस्था करके गयी है। वैसे बड़ा ही कठिन कार्य है।
हम्म
ग्रेनाइट लगवा लेता तो आप बीवी से यूं डरा न घूमता
सरदार ने आके मेरा हाल तो पूछा.... :)
सुबह सुबह घरवाली से ज्यादा कामवाली काम आती है ।
kya kahne.........
zabardast !
मेरी जोरू झुक नहीं सकती:) कमर दर्द तो बहाना हे जी, जब मुंडु पोछा मार सकता हे तो जोरू क्यो झुके....
समस्या छोटी लगती है पर है बहुत बड़ी..... रोचक है पर सच तो यही है ...
रोचक ... घर घर में कामवाली की ज्यादा चिन्ता रहती है
क्या कहूँ ?प्रतिष्ठा का सबाल है ..नौकरानी आराम के लिए चाहिए ही..
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