आज मुझे एक और जन्म-शताब्दी समारोह में जाना था। सोचता था कि कितने महान व्यक्तियों को जन्म दिया था १९११ ने- शमशेर बहादुर सिंह, नागार्जुन, नेपाली, फैज़, केदारनाथ अग्रवाल,अज्ञेय...। या फिर, उस समय की परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि उन्हें महान बनने का अवसर मिला। जो भी हो, शताब्दी समारोह में जाना तो है, और यह उस साहित्यकार का समारोह था जिसके बार में मैं अधिक कुछ नहीं जानता। ऐसे महान रचनाकार- अज्ञेय जी के शताब्दी समारोह में जाने का सपना न जाने कितने दिन से संजोये रहा। हमारे गुरु-तुल्य प्रो. ऋषभ देव शर्मा जी इस संगोष्ठी के निदेशक हों और हम न जायें! और फिर, अरब देश से लौटे अरबपति प्रो. गोपाल शर्मा [जो न जाने फिर कब अरब चले जायें], प्रो. वेंकटेश्वर जी जिनके बोलने की धाराप्रवाह शैली से कोई भी श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाता है, जैसे लोगों से मिलने/सुनने का सुअवसर तो है ही। साथ ही विद्वान वक्ताओं में प्रो. दिलीप सिंह, प्रो. त्रिभुवन राय, डॉ. सच्चिदानंद चतुर्वेदी, प्रो. जगदीश डिमरी, प्रो. मोहन सिंह, डॉ. आलोक पाण्डेय, डॉ. राधेश्याम शुक्ल जैसों का वक्तव्य कौन श्रोता छोड़ना चाहेगा। हमारे मित्र डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. गोरखनाथ तिवारी, डॉ. नीरजा, डॉ. बलविंदर कौर, डॉ. साहिरा बानू, डॉ. घनश्याम, डॉ. विष्णु भगवान और डॉ. श्रीनिवास राव से भी मुलाकात हो ही जाती।
पर अंग्रेज़ी में वो कहावत है ना- MAN PROPOSES AND GOD DISPOSES। बस, वही हुआ। बुरा हो इस बुढ़ापे का, कि कहीं भी अपनी लंगड़ी टांग अड़ा ही देता है। अपने स्वास्थ का क्या भरोसा, कब धोखा दे जाय! सो, आज धोखा दे ही दिया उसने और अब हम इस सवाल का जवाब पाने से वंचित रह गए जो अज्ञेय जी कभी किया था। सवाल आप भी सुन लीजिए और उत्तर मिले तो देने की कृपा करें :)
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ- [उत्तर दोगे]
तब कैसे सीखा डसना
विष कहाँ पाया?
15 टिप्पणियां:
सार्थक समारोह में आप अस्वस्थता के कारण नहीं जा पा रहे हैं .....कष्ट जरूर है किन्तु सेहत पहले है |
आप पूर्णतः स्वस्थ हों , ईश्वर से प्रार्थना है |
Koi baat nahi...malal n kare...aapko aisa suavsar avashy milega prarthana hai...rahi baat..aapke prashanki to tan rupi vishdhar hi man ko dansa karta hai.ham-aap kalpna kar sakte hain ....yadi man sarvesarva hota to sabhyta ki kya paribhasha hoti....anttah...prabhu ki jo aagya...
Take care , Sir !
अज्ञेय जी जैसे बिद्वान के प्रश्नों का उत्तर और हम संभव ही नहीं , अपने स्वास्थ का ध्यान रखिये
रही आपके बुढ़ापे की बात तो एक शेर याद आ गया है
बढती उम्र में कुछ अहतियात लाज़िमी है|
यह वह दरिया है जो बहते बहते उछाल लेता है |
umeed hai agale aise hi kisi samaroh me aap avashy ja payenge.
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अपने स्वास्थ का ख़याल रखिये। समारोह तो होते रहते हैं।
30 min walk
fruits daily
a glass of milk
minimum 8 hr sleep
A bouquet of roses to you Sir.
Get well soon !
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aap sheeghra swasth ho jaaiye prabhu !
aapke liye hardik swasth kamnayen !
उत्तिष्ठ महाभागे!
यावत् कंठ गतः प्राणः तावत कार्य प्रतिक्रिया!
कौन्तेय उठिए सर संधान कीजिये ..
हम सनातनता में ,शाश्वतता में जीते हैं यशः काया में भी जी लेते हैं - अज्ञेय सरीखे क्षण वादी तो नहीं
जो बीत गयी वह बात गयी -कोई गल नहीं कोई गिला नहीं
प्रेफेसर ऋषभ जी से कहें रपट यहाँ पढ़ाएं !
शुभकामनायें।
आप पूर्णतः स्वस्थ हमारी शुभकामनाऎं,
आप शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें । समारोह फिर होगा तब जरूर जाइयेगा ।
भाई जी,
समारोह तो होते ही रहेंगे, आप हमेशा स्वस्थ रहे
यही इश्वर से प्रार्थना है ! ताकि हम आपकी बहुत सारी
सुंदर-सुंदर रचनाये हमेशा पढ़ते रहे.........
आदरणीय प्रसाद जी,
समारोह में आपकी कमी मुझे ही नहीं सभी को बहुत खली. मुझे यह मालूम था कि आपकी तबियत कुछ नरम चल रही है कई दिन से और कि फिर भी आप आने का मन बनाए हुए थे. इसलिए जब दोपहर तक भी आप नहीं दिखाई दिए तो माथा ठनका. खैर; बात होने पर यह जानकर मन शांत हुआ कि कोई गंभीर बात नहीं है. गर्मी बढ़ रही है, स्वास्थ्य का ख़याल रखिएगा. इस सप्ताह मुलाकात का यत्न करूँगा.
कार्यक्रम की रिपोर्ट लिखकर प्रेस को भेज दी है. कल फोटो आदि के साथ 'कलम' के लिए भी आपके पास भेज दूँगा.
आपके अहेतुक स्नेह के लिए क्या कहूँ....मूक हूँ.
दुःख हुवा जानकर कि आपकी इच्छा पूर्ण नहीं हुवी ... किन्तु आप जल्दी ठीक हो ..प्रार्थना है..
गुरूजी संगोष्ठी में आपकी कमी बहुत महसूस हुई पर अपना स्वास्थ्य का ध्यान रखिए. उम्मीद है कि हम सब लोग एक बार फिर से जल्दी ही मिलेंगे.
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