आदरणीय भाई गुरुदयाल अग्रवाल से इल्तेजा की थी कि वह कविता भेजें जो उन्होंने अपनी एक बैठक में सुनाई थी। ७५वर्ष की इस आयु में भी वे एक अच्छे हाफ़िज़े के मालिक हैं और वे बर्जस्ता कविताएं सुनाते रहते हैं- कभी अपनी तो कभी औरों की... और हर मौज़ूं पर!!!! तो लीजिए, आप भी लुत्फ़ उठाइये, ‘इश्क का पर्चा- आशिकी का स्कूल’ :)
पहले इसके की वो नजम लिखूं ये साफ कर देना जरूरी है
कि ये मेरी लिखी हुई नहीं है- ये हमारे एक दोस्त के वालिद साहब
ने लिखी थी और हम लोगों के हाथ लग गई. बस
महवे हैरत हूँ कि वो सैटर था कितना खुश ख्याल
इश्क के बारे में पूछा जिसने पर्चे में सवाल
ऐसे ही सैटर अगर कुछ और पैदा हो गए
हर नोजवां को देखना हर नाजनीं पे शैदा हो गए
आम होगी आशिकी दुनिया के अर्ज-ओ-तूल में
लैला ओ मजनू नजर आयेंगे हर स्कूल में
इश्क के आदाब लडकों को सिखाये जायेंगे
गैर आशिक लोग भी आशिक बनाये जायेंगे
इम्तिहां होगा तो पूछे जायेंगे ऐसे सवाल
लैला-ओ-मजनू के बारे में हो कुछ इजहारे ख्याल
कैस की माँ कौन थी और बाप का क्या नाम था
वो साहिबे इस्लाम था या खारिजे इस्लाम था
अपने अंदाजे से तूले शामें तन्हाई बताओ
और तखमीनन शबे हिजरा की लम्बाई बताओ
कौन सी ऐनक से देखें हुस्न जानाना लिखो
इश्क की मिकदार जो नापे वो पैमाना लिखो
मादिरे लैला ने तो लैला न बिहाई कैस को
तुम अगर लैला की माँ होते तो क्या करते लिखो
इंडिया का एक नक्शा अपनी कापी में बनाओ
और फिर उसमें ह्दूदे कूचाए जाना दिखाओ
वस्ल की दरखास्त पर किसकी सिफारिश चाहिए
इश्क के पौदे को कितने इंच बारिश चाहिये
छोटे छोटे नोट्स लिखो जैल के टोपिक्स पर
शामे-गम, शामे-जुदाई, दर्दे-दिल, दर्दे-जिगर
एक आशिक चार दिन में जाता है उन्नीस मील
पांच आशिक कितने दिन में जाएंगे अडतीस मील
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11 टिप्पणियां:
एक आशिक चार दिन में जाता है उन्नीस मील
पांच आशिक कितने दिन में जाएंगे अडतीस मील
हा हा हा ! यह तो बड़ा गंभीर सवाल है ।
७५ की उम्र में आशिकाना हास्य अच्छा लगा ।
वाह, ऐसा गणित तो पहले कभी नहीं पढ़ा।
इस इस्कूल में अपना भी दाखला करवा दीजिये.
इश्क की किताबें दोबारा पढने का मन करता है.
बहुत सुन्दर हास्य कविता.
आभार.
हा हा और आशिक के जहन्नुम में जाने का भी तो कोई रास्ता होगा ?
एक आशिक चार दिन में जाता है उन्नीस मिल
पांच आशिक कितने दिन में जायेंगे अड़तीस मिल!
बहुत मजेदार रचना है.........
छोटे छोटे नोट्स लिखो जैल के टोपिक्स पर
शामे-गम, शामे-जुदाई, दर्दे-दिल, दर्दे-जिगर
वाह ..वाह .......
ओये होए .......
क्या बात है इस पर्चे के ....
अभी तो मज़ा लिए जा रहे हैं पर्चे का हल करने फिर आयेंगे .....
जरा आशिक लोग भी आ जायें ....
छोटे छोटे नोट्स लिखो जैल के टोपिक्स पर
शामे-गम, शामे-जुदाई, दर्दे-दिल, दर्दे-जिगर
वाह वाह ... मजेदार पर्चा है .... इसको तो हल करना ही चाहिए ....
bachha notes liye ja raha hai........chacha.....
nakal kar ke hi jawab de payega......bachha.....
..........yunki experience nahi hai.............
pranam.....
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मेरे जैसे विद्यार्थी कुछ इस प्रकार से परचा हल करेंगे --
प्रश्न सारे देखकर मन रोमांटिक हो गया ,
हाथ में है कलम लेकिन दिल में शोर हो गया ।
सब तरफ लैला दिखीं औ मजनुओं की भीड़ में ,
मन में खिले हैं मोगरे और प्रश्न -पत्र खो गया ।
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शायद बहुत पुरानी लिखी गई कविता होगी यह , आज तो सब सवाल एक सच्चाई बन चुके है !
गुरुदयाल अग्रवाल जी ने मेल भेजा ज़ील के उत्तर में:
आप जैसी हस्तियों पर ही तो हम को नाज़ है
आप हैं साथ तो आफ़ताब भी माहताब है
इस तमतमाती धूप में भी शबनमी एहसास है
प्रश्न्पत्र जाए भाड़ में मेरा यार मेरे साथ है:)
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