मंगलवार, 10 अगस्त 2010

चमत्कारी व्यक्ति

गत पोस्ट में डाली स्कैन प्रति का लिखित रूप ( मित्रों के आदेश पर )




चमत्कारी व्यक्ति




मूल :  एचजी वेल्स
अनुवाद  :  चंद्र मौलेश्वर प्रसाद



तीस वर्ष की आयु तक तो जार्ज मैक्विर्टर फोतरिंग एक साधारण व्यक्ति ही था, जिसके नाटे कद, छोटे भूरे बाल और एेंठी हुई मूंछें किसी को भी किसी कार्यालय के क्लर्क का आभास देता था। जार्ज की सोच भी साधारण थी और वह चमत्कार जैसी चीजों में विश्वास नहीं रखता था। चमत्कार को वह हाथ की सफाई या किसी जादूगर के करिश्मे से अधिक नहीं मानता था।


लाँग ड्रैगन बार में बैठेबैठे जब चमत्कार के मुद्दे पर बहस छ़िडी तो जार्ज ने जैसे अपना अंतिम निर्णय देते हुए कहा ‘देखिए मि विमेश, चमत्कार कोई साधारण घटना नहीं होती, वह तो किसी विशेष व्यक्ति द्वारा अपनी समस्त इंद्रियों को वश में करके ही की जा सकती है और यह हमारे जैसे साधारण व्यक्ति नहीं कर सकते।’
‘तो आप ऐसा समझते हैं ?’ मखौल उडाने वाले अंदाज में मि विमेश ने कहा।


‘तो आप क्या समझते हैं कि मैं उस लटकती कंदील को यहां बैठेबैठे उलटा होने का हुक्म दूंगा और वो उलट जाएगी ?’ यह कहते हुए जार्ज ने एक खास अंदाज से अपनी त्यौरी च़ढाई और कंदील की ओर घूर कर देखा। सभी चकित रह गए ! कंदील उलट गयी और फिर भी उसकी बत्ती जलती रही।


‘उफ, मैं अधिक देर इसे नहीं संभाल सकता’ कहकर जार्ज ने नजर हटा ली। वह कंदील पलट गयी और झन्नाटे से जमीन पर आ गिरी। यह तो अच्छा हुआ कि उसकी बत्ती बुझ गई वर्ना कंदील से निकल कर फैले तेल में आग लग सकती थी। सभी सकते में थे जार्ज भी।


उसी सकते की हालत में जार्ज ने घर का रास्ता लिया। स़डक पर चलते हुए खम्बों से लटके कंदीलों से अपनी नजरें बचाता हुआ वह घर पहुंचा। उसके मस्तिष्क में एक ही प्रश्न चक्कर काट रहा था आखिर ऐसा कैसे हुआ? उसने कमरे की मोमबत्ती जलाई। घूर कर मोमबत्ती को देखते हुए उसी खास अंदाज से नजरें घुमाई और कहा ‘ऊपर उठो’। मोमबत्ती ऊपर उठी ही थी कि उसने घबराकर नजरें हटा ली। मोमबत्ती नीचे गिरी और बुझ गयी। जार्ज अंधेरे में दीयासलाई टटोलने लगा। अचानक एक बात उसके मस्तिष्क में कौंध गई। उसने कहा मोमबत्ती जल उठे। जमीन पर प़डी मोमबत्ती जल उठी। उसने अपने आप से पूछातो क्या चमत्कार होते हैं और क्या यह सब चमत्कार है ? इसी उध़ेडबुन में उसे नींद आ गई।


सुबह उठा तो जार्ज को रात की बीती बातें स्वप्न लगने लगीं। वह स्वप्न था या यथार्थ ! अब उसे मूसा के चमत्कार और उनके लठ से निकले सर्प सभी याद आने लगे, जिसे अब तक वह कल्पना मात्र समझता रहा था। तैयार होकर वह घर से बाहर निकला। रास्ते में चलतेचलते उसे अपनी चमत्कारी शक्ति आजमाने की इच्छा प्रबल हुई। उसने अपने हाथ की छ़डी को गुलाबी गुलदस्ता बनने का हुक्म दिया। वातावरण में गुलाबी खुशबू फैल गई। किसी के आने की आहट पाकर उसने फिर से छ़डी होने का हुक्म दिया। छ़डी बनतेबनते वह आगंतुक की पीठ पर लग गयी। उसने डांटते हुए पूछा‘यह तुम क्या कर रहे हो ? मुझे छ़डी से मार रहे हो!’ 

‘क्षंमा करें साज]ट फिंच, मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था।’ जार्ज ने पुलिस वाले को पहचानते हुए कहा। 
‘तो क्या कर रहे हो ?’ फिंच ने डांटा।


जार्ज को कुछ सुझाई नहीं दिया। उसने झट से हुक्म दिया ‘तुम हेड्‌स चले जाओ।’ अब जार्ज अकेला ख़डा था। वह चकित रह गया। उसे पता भी नहीं था कि हेड्‌स कहां है और वह साज]ट किस हालत में वहां होगा। वह चुपचाप अपने कमरे में लौट आया। उसे और कोई चमत्कार करने की हिम्मत नहीं हुई।


रविवार की शाम को जार्ज की ओर निकल प़डा। उस शाम मिमेडिग अपने भाषण में चमत्कार के विषय में बोल रहे थे। यद्यपि जार्ज हमेशा चर्च जाने वालों में नहीं था, पर आज मि मेडिग का भाषण सुनकर उसने तय किया कि वह उनसे मिलेगा और चमत्कार के बारे में और जानकारी लेगा। जार्ज ने मि मेडिग को बताया कि किस प्रकार उसने साज]ट फिंच को हेड्‌स भेज दिया है और अब वह उसके बारे में चिंतित है। मि मेडिग को जार्ज की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था और वह यह सोच रहा था कि यह कोई चमत्कार था या कोई काला जादू। जार्ज ने उन्हें यकीन दिलाने के लिए पास प़डे लक़डी के ठूंठ को फूलों के गुलदान में बदल दिया।
‘यह तुम ने कैसे कर दिया ! यह तो चमत्कार है।’

‘यह तो मुझे खुद भी पता नहीं। बस, पिछले सप्ताह लांग ड्रैगन बार में बैठेबैठे अचानक इसका आभास हुआ था।’

‘तुम यही एक चमत्कार कर सकते हो या और कुछ भी’

‘कुछ भी कुछ भी कर सकता हूं, मैं। वो देखो, पीतल के उस बर्तन को कांच के बर्तन में बदल दूंगा और उसमें मछली भी तैरेगी।’


मि मेडिग ने पल भर में सब कुछ वैसा ही देखा जैसा जार्ज ने कहा था। फिर, जार्ज ने लांग ड्रैगन बार की घटना से लेकर साज]ट फिंच को हेड्‌स भेजने तक का सारा घटनाक्रम मि मेडिग को कह सुनाया। सारा वृतांत सुनने के बाद अंत में मि मेडिग ने गहरी सांस ली और कहा ‘हो सकता हैऐसा हो सकता है। मैंने हमेशा उन चमत्कारों को भेंट की तरह लिया जो ईसा ने या हजरत मुहम्मद या फिर उस योगी ने या फिर मैडम ब्लावट्‌स्की ने किया था।’
‘पर मुझे तो बेचारे साज]ट की चिंता है। पता नहीं वह किस हाल में होगा। पता नहीं मैं फिंच को कैसे उसकी इस परिस्थिति से बाहर कर पाऊंगा।’ जार्ज ने चिंता जताई।


‘फिंच की चिंता छ़ोडो। तुम अब एक बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हो। अच्छा तुम्हारी इस शक्ति का कुछ और परिक्षण करेंगे।’ मि मेडिग ने यह कहते हुए जार्ज से कुछ और चमत्कार दिखाने के लिए कहा जिसे जार्ज ने सफलतापूर्वक कर दिखाया। मि मेडिग ने फिंच को भूल जाने की सलाह देते हुए जार्ज को बाहर ले आए। रात के तीन बज रहे थे। पूर्णिमा की चांदनी चटक रही थी। आकाश पर चांद को मद्धम गति से चलते हुए देखकर मि मेडिग ने जार्ज से उसे रोकने को कहा। जार्ज ने अपनी आंखें उसी अजीब अंदाज में उठाते हुए कहा रुक जाओ।
चांद जहां था वहीं रुक गया। मि मेडिग को लगा कि वह जार्ज के माध्यम से दो जहान जीत सकता है। उसने धरती को रोकने के लिए जार्ज से कहा। बिना कुछ सोंचेसमझे जार्ज ने धरती को रुकने का हुक्म दिया और अचानक धरती रुक गयी। तेज़ हवा बहने लगी और उस आंधी में जार्ज उ़डने लगा । घबराकर उसने जोर से कहामुझे धरती पर उतार दो, सुरक्षित । उसने देखा कि ईंट और पत्थर इधरउधर से उ़डकर आ रहे हैं, धरती पर ओलों की तरह गिर रहे हैंः एक उ़डती हुई भैंस को उसने एक बिल्डिंग से टकरा कर धरती पर गिरते हुए देखा । 
‘हे प्रभु, यह मैंने क्या कर दिया ! सब कुछ उलटापुलटा हो रहा है । ’ जब उसने धरती को रुकने को कहा था, तो उसे यह अहसास नहीं था कि प्रकृति को छ़ेडने के क्या भयंकर परिणाम भुगतना प़डेगा आदमी को ! उसने अपने आपको समेटा और क्षण भर के चिंतन के बाद जोर से चिल्लाया‘अब सारी धरती यथावत हो जाय और तब तक ऐसी कुछ अनहोनी न हो जब तक मैं सोचसमझ कर निर्णय न लूं। सबसे पहले तो यह कि मेरे सारे आदेश पूरे हाेेने के बाद मेरी यह चमत्कारी शक्ति नष्ट हो जाए । दूसरी बातमेरा जीवन फिर वहीं से शुरू हो जहांं से लाँग ड्रैगन बार में कंदील के उलटने के पहले था। अब और कोई चमत्कार न हो बस्स्स अब और नहीं । ’ 

उसने आंखें बंद कर ली । सब कुछ शांत हो गया । उसके कानों में मि विमेश की आवाज़ आई‘तो आप ऐसा समझते हैं ?’ 

मि विमेश की आवाज़ सुनकर जार्ज नेे आँखें खोली । वह लाँग ड्रैगन बार के उसी कुर्सी पर बैठा था और बहस जारी थी। जार्ज ने कहा‘हाँ, चमत्कार नहीं होते और मैं इसे प्रमाणित कर सकता हूँ । देखिए मि विमेश, कोई भी चमत्कार प्रकृति के विरुद्घ जाता है और प्रकृति के विरुद्ध जाने के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है, ऐसी इच्छाशक्ति जो प्रकृति की सहायक हो, न कि उसके विपरीत जाने की , जिससे बाद में मनुष्य को उसका पछतावा न रहे ।’ 

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

चमत्कार उन्हीं को बोला जाता है जिन्हे प्रमाणित न किया जा सके। विज्ञान तो अब सब प्रक्रियाओं को प्रमाणित करने की स्थिति में है।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बधाई प्रसाद जी , कहानी का बेहतरीन अनुवाद !

समयचक्र ने कहा…

मै प्रवीण जी के विचारों से सहमत हूँ.....आभार