गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

स्त्री सशक्तीकरण

एक और उदाहरण

  • स्त्री सशक्तीकरण का एक और उदाहरण प्रस्तुत किया है हमारी न्यायपालिका ने! उच्चतम न्यायालय की जानकारी ‘भाषा’ के माध्यम से मिली है जो इस प्रकार है:


उच्चतम न्यान्यालय ने एक महत्वपूर्ण फ़ैसले में एक कमाऊ पत्नी से अपने बेरोज़गार पति को अदालती खर्च के तौर पर दस हज़ार रुपये का भुगतान करने के लिए कहा है। बेंगलुरु के एक न्यायलय में चल रहे वैवाहिक विवाद में कानूनी लडाई चल रहे मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह फ़ैसला सुनाया।


सामान्यतः दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १२५ के तहत यह पति की ज़िम्मेदारी होती है कि वह अपनी पत्नी और अभिभवकों का भरण-पोषण करें। यह प्रावधान तलाक की कार्यवाही या उसके बाद भी लागू होता है। लेकिन इस मामले में शीर्ष न्यायालय ने यह देखने के बाद कि पति बेरोज़गार है, कमाऊ पत्नी मिरांडा को चेन्नई में रह रहे अपने बेरोज़गार पति संतोष के. स्वामी को अदालती खर्चे के लिए यह रकम देने का फ़ैसला सुनाया है।

अब कौन कह सकता है कि भारत की नारी अबला है और वह पुरुष के सहारे दिन बिता रही है???

8 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप से सहमत हुं.
आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए!!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

नयी जानकारी है।आभार।

आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

संगीता पुरी ने कहा…

नारी को अबला होना भी नहीं चाहिए .. आपके और आपके पूरे परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!

Mithilesh dubey ने कहा…

आपको नव वर्ष की हार्दिक बधाई

Unknown ने कहा…

achha laga jaan kar......
dhnyavaad !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

CM Prasad ji आपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाए!!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

स्त्री पुरुष एक समान ही होने चाहिए।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

यह बिलकुल होना चाहिए....
मैं इसका समर्थन करती हूँ....मुझे याद है....मेरे पिता जी ने मुझे एक article भेजा कि अब बेटियों की भी जिम्मेवारी हैं अपने माता-पिता का भरण पोषण करना...
जब पति को यह दायित्व दिया जाता है तो फिर कमाऊ पत्नी को क्यूँ नहीं.....
मुझे बहुत अच्छा लगा ....नारी शक्तिकरण हो तो पूरी तरह से हो....