बुधवार, 4 नवंबर 2009

स्टेम कोशिका [stem cell]

स्टेम सेल और महिला का स्वास्थ

यह तो सर्वविदित है कि चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सेल की खोज आज की सब से बडी उपलब्धि मानी जा रही है जिसकी सहायता से दिल, गुर्दे, फेफडे़ में आई खराबी को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा अल्ज़मर व कैंसर जैसी बीमारियों में भी यह लाभकारी सिद्ध होगी। उसका कृष्णपक्ष यह है कि स्टेम सेल को भ्रूण से प्राप्त किया जाता है, जिसके कारण जीवनीतिज्ञ [Bioethicists] इसका यह कह कर विरोध कर रहे हैं कि यह भ्रूण हत्या है। नैतिक आधार पर इसका शोध रोकने के लिए कहा जा रहा है परंतु वैज्ञानिकों का मानना है कि आगे चल कर यह कोशिका चमडे़ से भी उपलब्ध होने की सम्भावना है और इसके लिए शोध ज़रूरी है। वैज्ञानिक इस शोध में हानि कम और भविष्य के लिए बहुत सम्भावनाएं बताते हैं।

अब अमेरिका के न्यू यार्क राज्य ने यह निर्णय लिया है कि जो भी महिला भ्रूण देने के लिए तैयार है उसे १०,००० डालर [४,८०,००० रुपये] दिये जाएँगे। जीवनीतिज्ञ इसे महिलाओं के लिए एक ऐसा जाल बता रहे हैं जिसमें फंस कर महिलाएँ अपना स्वास्थ दाँव पर लगाएँगी।

भ्रूण की किल्लत से शोध में हो रहे विज्ञ को देखते हुए न्यू यार्क की विधान सभा ने जून में एक बिल पारित किया जिसमें साठ मिलियन डालर [२८८० करोड़ रुपये] का प्रावधान है। जीवनीतिज्ञ यह मान रहे हैं कि लालच के चलते रक्त दान की अति की तरह भ्रूण दान की इस नीति से ऐसा न हो कि महिलाएँ धन की खातिर बार-बार भ्रूण देकर अपने स्वास्थ को हानि पहुँचाए। वैसे, इस बिल में ऐसे अनेक प्रावधान बताए जाते हैं कि महिला के स्वास्थ के साथ-साथ उसकी वित्तीय सहायता भी होगी

6 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

डर है की कहीं गरीब देशों से अविकसित गर्भ- की कालाबाजारी न शुरू हो जाय ! एक दहशतनाक सम्भावना ! यहाँ पैसों को लेकर लोग कितना भी नीचे गिर सकते हैं और लोगों लुगायियों को गिरा सकते हैं !

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

कहाँ हैं आप अरविन्द जी....
ये काम अब धड़ल्ले से हो रहा है....कुछ समय पहले एक आलेख कहीं पढ़ा था कि कलकत्ता के एक मकान में बहुत सारी गर्भवती महिलाएं देखीं गयी....एक साथ इतनी सारी महिलाओं वो भी गर्भवती क देख कर लोगों का माथा ठनका था.....गिरफ्तारी के बाद मालूम हुआ कि ऐसी ही किसी शोध को अंजाम देने के लिए इन गरीब महिलाओं को लाया गया था......
हमें रसातल में जाने से अब ईश्वर भी नहीं रोक सकता है शायद ..!!
बहुत ही बढ़िया आलेख...हम तो पहली बार आपके ब्लॉग पर आये हैं और एक अलग सी अनुभूति लेकर जा रहे हैं.....
ह्रदय से आपका आभार मानते हैं....
धन्यवाद....!!

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

chaliye aapki tippani ke kaaran aapke BLOG se jankari lekar ja rahe hain,
chain se sone nahin denge, 300 vin post likhne ja rahe hain, aapka intezar rahega.

Luv ने कहा…

प्रावधान? Hwang Woo-suk ko kya saza mili bhala? itna bada fraud karke bhi kuchh bigada nahin, aur ab to parenthogenesis ke liye taareef bhi mil rahi hai!!!

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

यह तो भारत में गुर्दा बेचने का फिरंगी संस्करण है!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आदरणीय डॊ. अरविंद मिश्र जी, जैसा कि अदाजी ने कहा है, यह काम तो भारत में शुरू हो ही गया है और यहां की चार संस्थाएं इस दिशा में कार्य कर रही हैं।

आदरणीय अदा जी, आपका इस ब्लाग पर पदार्पण करना अच्छा लगा।आभार॥

भाई डॊ. सेंगरजी, आपकी ३००वीं पोस्ट के लिए बधाई। आपके ब्लाग पर भी पहुंचेगे ही:)

आदरणीय ज्ञानदत्त पाण्डेय जी, भारत में आदमी ही बिकाऊ है, उसका रक्त, गुर्दा.... और अगर सर्जरी में तरक्की हुई तो शायद स्पेयर पार्ट की दुकान भी खुल जाए:)

Dear Luv, A time may come that these people will be chosen for Nobel Award:)