रविवार, 1 नवंबर 2009

Is DEV DEEPAVALI COMMUNAL!

क्या देव दीपावली साम्प्रदायिक है?


दो दिन पूर्व ही ज्ञानदत्त पाण्डेयजी के ब्लाग ‘मानसिक हलचल’ पर देव दीपावली की पोस्ट पढ़ी थी। इस विषय पर उन्होंने गंगा तट पर फैले कचरे के बारे में भी लिखा था। आज यह समाचार पढ़ने को मिला [डेली हिंदी मिलाप में] कि उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार ने सांप्रदायिक आयोजन कहे जाने वाले देव दीपावली और इसके पारम्परिक आयोजन के लिए गंगा के घाटों पर प्रतिबंध लगाया है। परिणामस्वरूप वाराणसी के महापौर तथा अनेक विधायकों सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने दशाश्वमेघ घाट पर अनशन शुरू किया है।

वाराणसी के महापौर कौशलेंद्र सिंह और विधायक श्यामदेव राय चौधरी के साथ विधायक अब्दुल अंसारी भी अपने समर्थकों के साथ अनशन व धरने में शामिल हुए। इस बीच देव दीपावली समितियों ने आज अपनी महाबैठक में यह फ़ैसला लिया कि इस वर्ष वाराणसी के घाटों पर देव दीपवली का आयोजन नहीं किया जाएगा। विरोध स्वरूप सभी घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिर्फ एक-एक दीप जलाया जाएगा।

5 टिप्‍पणियां:

शरद कोकास ने कहा…

हमने सुना था कि हमारे देश में साम्प्रदायिक आयोजन तो एक ही होता है और उसे" दंगा " कहते है ।

Unknown ने कहा…

jai ho !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बिलकुल सही मुद्दा उठाया आपने ! ज़रा सोचिये अगर यह किसी अल्पसंख्यक धर्म ( वोट बैंक ) से सम्बंधित मसला होता तो क्या मायावती सरकार ऐसा कर पाती ! एक कहावत है कि गरीब की बीबी सबकी भाभी !

Unknown ने कहा…

मायावती की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है. विनाशकाले विपरीत बुद्धि.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मायावती जी का राज महान चौपट राज है।