बुधवार, 17 जून 2009

दूसरे ग्रहों के कीट

दूसरे ग्रह के कीट


वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्होंने ग्रीनलैंड की बर्फीली परत में दबे एक अतिसूक्षम रहस्यमय बैक्टीरियम को जीवित किया है जिसके बार में उनका कहना है कि यह शायद दूसरे ग्रहों के जीवों से मिलता-जुलता है। अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने ग्रीनलैंड में बर्फ की परतों के तीन किलोमीटर नीचे १,२०,००० वर्ष तक दबे रहे ‘हरमिनिमोनास ग्लैसीइ’ कीट को जीवित किया है। वैज्ञानिक इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं क्योंकि इसकी समानता उन ‘माइक्रोब’ से की जा सकती है जिनका विकास बर्फ में या अन्य ग्रहों पर हुआ होगा।

अभी तक की सूक्षमतम बैक्टीरियम ‘एश्चीरिचिया कोलाइ’ से करीब १० से ५० गुणा छोटे आकार की इस नई खोज ‘हरमिनिमोनास ग्लैसीइ’ के बारे में पेनसिलवानिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रमुख जेनिफ़र लवलैंड कुट्रेज़ का मानना है कि "सबसे अनूठी बात यह है कि यह बहुत ही सूक्ष्म है और बहुत कम पोषक तत्त्वों पर भी टिक सकता है।"

वैज्ञानिकों ने पाया कि यह कीट बर्फ के पतले से बारीक रेशे में जीवित रह सकते हैं और बर्फ के साथ दबे पोषक तत्त्वों के कुछ कणों पर टिक सकते हैं। डॉ. कुट्रेज़ के मतानुसार " बर्फ के साथ ही धूल होती है, बैक्टीरिया की कोशिकाएँ होती हैं, फफूंद के स्पोर वनस्पति स्पोर, खनिज और अन्य जैविक मलबे होते हैं। सो हमारा कयास है कि वह इन सूक्षम पोषणों पर जीते है।" यह विचार उन्होंने विज्ञान पत्रिका ‘न्यू साइंटिस्ट’ में व्यक्त किये हैं।

[दैनिक पत्र स्वतंत्र वार्ता के १६ जून अंक से साभार]

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

waah waah
khoob achhi jaankaari !

डॉ .अनुराग ने कहा…

दिलचस्प...अब कोर्स की किताबो में एक नया बेकटीरिया होगा .बेचारे माइक्रोबिओलोजी के छात्र..