‘मेरी दीवानगी पर होशवाले बहस फ़रमायें’
ढकोसला करते हैं हम लोग !यह श्रद्धा नहीं, अपमान है श्रद्धा का !शर्मनाक !
दस दिन तक सेवा करोखाओ मेवा उद्देश हमारागणपति बाप्पा मोरयापुढच्या वर्षी लवकर या !
काम हुआ, चलता किया, अब जाये भाड में।
हम नहीं सुधरेंगे ।
क्यों धर्म के ठेकेदारों से पंगा ले रहे हैं :)
वीभत्स!
यह अपमान है ... श्रधा तो नहीं है ...
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने... पूर्वाग्रह त्याग कर इस पर सभी को विचार करना चाहिए...
इसका मूल कारण है सिर्फ़ दिखावा करना ... और मनन तो भूल कर भी न करना ..... सादर !
पूर्वाग्रह त्याग कर इस पर विचार करना चाहिए.बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने!
प्रवाहित !
इस सम्पूर्ण परम्परा पर पुन: विचार होना चाहिए।
यही बात तो मुझे समझ नहीं आती ...लाखों का खर्च कर फिर पानी में बहा देना ....?ऐसा भी तो हो सकता है साल भर मूर्ति उसी स्थान पे रहे अगले वर्ष उसे ही फिर नया रूप दिया जाये ....
सामूहिक मनोरंजन का बढ़िया बहाना.
आपके विचारों का स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंढकोसला करते हैं हम लोग !
यह श्रद्धा नहीं, अपमान है श्रद्धा का !
शर्मनाक !
दस दिन तक सेवा करो
जवाब देंहटाएंखाओ मेवा उद्देश हमारा
गणपति बाप्पा मोरया
पुढच्या वर्षी लवकर या !
काम हुआ, चलता किया, अब जाये भाड में।
जवाब देंहटाएंहम नहीं सुधरेंगे ।
जवाब देंहटाएंक्यों धर्म के ठेकेदारों से पंगा ले रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंवीभत्स!
जवाब देंहटाएंवीभत्स!
जवाब देंहटाएंयह अपमान है ... श्रधा तो नहीं है ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने... पूर्वाग्रह त्याग कर इस पर सभी को विचार करना चाहिए...
जवाब देंहटाएंइसका मूल कारण है सिर्फ़ दिखावा करना ... और मनन तो भूल कर भी न करना ..... सादर !
जवाब देंहटाएंपूर्वाग्रह त्याग कर इस पर विचार करना चाहिए.बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने!
जवाब देंहटाएंप्रवाहित !
जवाब देंहटाएंइस सम्पूर्ण परम्परा पर पुन: विचार होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंयही बात तो मुझे समझ नहीं आती ...
जवाब देंहटाएंलाखों का खर्च कर फिर पानी में बहा देना ....?
ऐसा भी तो हो सकता है साल भर मूर्ति उसी स्थान पे रहे अगले वर्ष उसे ही फिर नया रूप दिया जाये ....
सामूहिक मनोरंजन का बढ़िया बहाना.
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