मुस्कराहट से अट्टहास तक
कभी शेक्सपीयर ने कहा था- ए मैन मे स्माइल एण्ड स्माइल एण्ड यट बी ए विलेन। इस मुस्कुराहट के कई रूप होते हैं। जब हम प्रसन्न होते है तो हमारे होटॊं पर एक धीमी सी मुस्कुराहट फैल जाती है। सामनेवाला पूछ बैठता है- क्या बात है, बडे खुश नज़र आ रहे हो! शायद इसीलिए चेहरे को आदमी का आइना कहा जाता है।
किसी परिचित को रास्ते में देखते है तो होंटों पर मुस्कुराहट अनायास ही आ जाती है। इस प्रकार हम उससे बिन बात किए ही संवाद स्थापित कर लेते हैं। यह मुस्कुराहट आपस में आत्मीयता का पैगाम पहुँचाती है। यही मुस्कुराहट कभी दंभ का रूप भी ले लेती है। जब हम किसी को नमन करते हुए हाथ जोड़ते हैं और वह केवल सिर हिलाकर मुस्कुरा देता है, तो लगता है कि वह अपने दम्भ में चूर है। उसे प्रतिउत्तर में हाथ जोड़ना भी गवारा नहीं है।
मासूम बच्चे की मुस्कुराहट सभी को भाती है। बच्चा झूले में खेलते हुए अपनेआप में प्राकृतिक और निश्चल मुस्कुराहट बिखेरता है तो देखने वाले को आनंदित कर देता है। तभी तो शायर कह उठता है- मुस्कुरा लाड़ले मुस्कुरा। यह मासूम मुस्कुराहट कभी हँसी में भी बदल जाती है।
अब हँसी भी तो कई प्रकार की होती हैं। एक तो उस मासूम की हँसी है जो बिना कारण ही हँस देता है। एक वह हँसी होती है जिसे देखकर सामने वाला समझता है कि मुझे देखकर हँसा जा रहा है। यह तो खतरनाक हँसी ही कही जाएगी जो बिना किसी कारण के बैरभाव खडा कर देती है। सब से खतरनाक हँसी तो स्त्री की होती है जो महाभारत भी करा देती है। कुटिल हँसी का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी किया है। तात्पर्य यह कि हँसी अच्छी भी हो सकती है, जो हँसी-खुशी के समय निकलती है और घातक भी जो उपहास करने, मज़ाक उड़ाने या मुँह चिढ़ाने के समय निकल जाती है। हम फिल्मों में देखते भी है कि किस प्रकार विलेन हिरोइन को अपने जाल में फँसा तडपते देख हँसता है और उसकी आँखें दुर्भावना से फैल जाती है।
अब फिल्मों की बात चली है तो रावण का अट्टहास कैसे भूल सकते हैं? हमने रावण को साक्षात हँसते हुए तो देखा नहीं है, केवल फिल्मों में ही देखा है पर हमारे मानस पटल पर उस ठहाके में एक क्रूर व्यक्तित्व की छवि छा जाती है। परंतु यह आवश्यक नहीं कि हर अट्टहास रावणी ही हो। हम भी कभी किसी चुटकुले या मनोरंजक घटना पर ठहाका लगा ही लेते है जो शुद्ध देसी घी की तरह केवल अपने मन की प्रसन्नता को सौ नम्बर देने का द्योतक होता है। अब यह पढ़कर आप जो ठहाका लगा रहे हैं, उससे हम समझ गए कि कितने नम्बर दिए जा रहे हैं। हा...हा....हा!
बड़ा दिलचस्प विषय चुना है भाई जी !
जवाब देंहटाएंतरह तरह की हंसी में, हमें तो एक ही हंसी अच्छी लगती है कि हर किसी के साथ खुल कर हंसें, जिससे भी मिलें, हंस कर मिलें!
अफ़सोस है कि यही हंसकर मिलाना आजकल कम होता जा रहा है ! जहाँ देखें एक कृत्रिम, बनावटी और व्यावसायिक हंसी से स्वागत होता है, जिसमें परस्पर हंस मिल बैठने की प्रवृत्ति का गला जबरन घोट दिया जाता है !
शुभकामनायें आपको !
मुस्कुराहटें तो सफ़ेद बाघ की तरह विलुप्त होती प्राजाति की तरह हो गयी है।
जवाब देंहटाएंमारे मानस पटल पर उस ठहाके में एक क्रूर व्यक्तित्व की छवि छा जाती है। परंतु यह आवश्यक नहीं कि हर अट्टहास रावणी ही हो।
जवाब देंहटाएंयह हंसना और यह मुस्कुराना
अब नहीं रहा वह जमाना ...!
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने.......
जवाब देंहटाएंमुस्कान का विस्तार देख मुस्कान फैल गयी।
जवाब देंहटाएंहमें तो सबसे ज़्यादा हंसी आ रही है भ्रष्टाचार के मुददे पर।
जवाब देंहटाएंपहले कांग्रेस ने बाबा रामदेव को दौड़ा लिया और अब अन्ना ने कांग्रेस को ही दौड़ा लिया। इसमें कॉमेडी भी है और सस्पेंस भी।
ख़ैर यह टिप्पणी तो मात्र एक बहाना है ।
वर्ना हमारा असल मक़सद तो आपको लिंक थमाना है ।।
चुपचाप लिंक थामिए और शेक्सपियर के लिखे के मुताबिक़ हंसते हुए आ जाइये हमारे ब्लॉग पर और हम वहां आपका स्वागत भी मुस्कान से करेंगे और आप चाहें तो हम क़हक़हा भी लगा देंगे।
आना ज़रूर , हं ..., भूलिएगा नहीं।
आपने बहुत अच्छी जानकारी दी ख़ासकर ऐसे समय में जबकि ज़्यादातर ब्लॉग पर अन्ना से संबंधित पोस्ट ही नज़र आ रही हैं। ऐसे में एक आप हैं और बस एक हम हैं कि ...
ब्लॉग जगत का नायक बना देती है ‘क्रिएट ए विलेन तकनीक‘ Hindi Blogging Guide (29)
"सब से खतरनाक हँसी तो स्त्री की होती है जो महाभारत भी करा देती है।"
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति पर आपत्ति है। आपने नहीं देखा कि मनीष तिवारी की कुटिल हँसी के कारण आज देश में जन आंदोलन खड़ा हो गया है। कुटिल हँसी किसी की भी हो चाहे वह स्त्री हो या पुरुष महाभारत कराने में सक्षम होती है।
एक मुस्कराहट
जवाब देंहटाएंहंसी पर इतनी प्यारी पोस्ट ..... बहुत बढ़िया :)
जवाब देंहटाएंभाई जी,
जवाब देंहटाएंआजकल तो हमारे आसपास बड़े उदास
चेहरे लिये ही लोग मिलते है ! पता नहीं ऐसा क्या खो गया है
इन लोगों का, निश्छल हंसी न जाने कहा खो गई है !
बहुत सुंदर पोस्ट आभार आपका !
हँसी स्वस्थ मन-मस्तिष्क के लिए अत्यंत आवश्यक है. भले ही कोई मुन्ना भाई के ससुर की तरह हँसे या शोले के गब्बर की तरह या फिर तारे जमीन के ईशान की तरह. अच्छी रचना. बधाई.
जवाब देंहटाएंआज कुशल कूटनीतिज्ञ योगेश्वर श्री किसन जी का जन्मदिवस जन्माष्टमी है, किसन जी ने धर्म का साथ देकर कौरवों के कुशासन का अंत किया था। इतिहास गवाह है कि जब-जब कुशासन के प्रजा त्राहि त्राहि करती है तब कोई एक नेतृत्व उभरता है और अत्याचार से मुक्ति दिलाता है। आज इतिहास अपने को फ़िर दोहरा रहा है। एक और किसन (बाबु राव हजारे) भ्रष्ट्राचार के खात्मे के लिए कौरवों के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है। आम आदमी लोकपाल को नहीं जानता पर, भ्रष्ट्राचार शब्द से अच्छी तरह परिचित है, उसे भ्रष्ट्राचार से मुक्ति चाहिए।
जवाब देंहटाएंआपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई।
जिससे भी मिलें, हंस कर मिलें.....बहुत सुंदर पोस्ट ......
जवाब देंहटाएंसचिन को भारत रत्न क्यों?
जवाब देंहटाएंhttp://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/
बहुत अच्छा,शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएंकलम से एक , दो तीन या चार हंसी ही मिली -ये तो बारह कड़ी है !ह ..ह..ह..ह..बहुत खूब
जवाब देंहटाएंbahut sunder haasy.......
जवाब देंहटाएंVakai logo ki hansi to kahi kho gai hai shayd isi liye laughter club khul rahe hai.sehat ke liye yah bhi ek dava hai.
जवाब देंहटाएंpavitra agarwal
ब्लोगिंग करना सीख ही रहा हूँ .प्रोफाइल भी भरूँगा.अच्छा लिखते हैं आप.
जवाब देंहटाएंकुटिल हँसी..महाभारत ..हा!हा! रोचक विषय.
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