रविवार, 24 अप्रैल 2011

केदारनाथ अग्रवाल





केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशताब्दी

केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशताब्दी के अवसर पर आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी में एक समारोह हुआ जिसमें प्रो. ऋषभदेव शर्मा मुख्य वक्ता थे और प्रो. गोपाल शर्मा [गेर यूनिस विश्वविद्यालय, बेनगाज़ी, लिबिया से पधारे ‘शरणार्थी’:)] मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे तथा दैनिक समाचार पत्र ‘स्वतंत्र वार्ता’ के सम्पादक डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने केदारनाथ अग्रवाल को बहुआयामी रचनाकार बताते हुए कहा कि आज वे केवल उनकी रचनाओं में प्रेम पक्ष पर ही बोलेंगे।  यूँ तो केदारनाथ अग्रवाल को प्रगतिशील कवि कहा जाता है पर उन्हें प्रगतिवादी क्षेत्र में वह सम्मान नहीं मिला क्योंकि वे प्रेम पर कविताएँ कहते थे।  यह एक अजीब बात है कि भारत की प्रगतिशीलता में प्रेम का कोई स्थान नहीं है जब कि मार्क्स, लेनिन, एंगेल्स और चे गवारा ने भी प्रेम कवितायेँ लिखीं.  प्रो. शर्मा का मानना है कि शोषित और मजदूर भी प्रेम करता है और प्रेम कोई अछूत चीज़ नहीं है।

केदारनाथ अग्रवाल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने बताया कि केदारनाथ अग्रवाल व्यवसाय से वकील थे और बांदा में उनकी खेती व मकान है।  उन्होंने आगे बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि दो वर्ष पूर्व उन्हें केदार सम्मान के कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला था।  यह भी उन्हें हर्षित करता है कि केदारनाथ अग्रवाल से जब उनकी भेंट १९९२ में चेन्नै में हुई थी तो इसका ज़िक्र केदार जी ने अपनी डायरी में भी दर्ज किया है। 

केदार जी की रचनाएँ छोटी हुआ करती थी पर उनमें सार छुपा होता है।  प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने उनकी छोटी कविताओं के कुछ उदाहरण भी दिये; जैसे,

मेरे गीतों को तब पढना
 बार बार पढ़कर फिर रटना   
सीखो जब तुम प्रेम समझना 
प्रेम पिए बस पागल रहना.

केदार की कविताओं में प्रेम में जो ‘तुम’ दिखाई देता है वह सम्बोधन उनकी पत्नी के लिए है।  प्रायः कवि की कविताओं में प्रेम का सम्बोधन प्रेयसी के लिए होता है परंतु केदारनाथ अग्रवाल का प्रेम केवल उनकी पत्नी के लिए ही सुरक्षित था।

तुमने गाए-
गीत गुँजाए
पुरुष हृदय के
कामदेव के काव्य-कंठ से
उमड़े-घुमड़े;
झूमे, बरसे
तुम शब्दों में स्वयं समाए,
चपला को उर-अंक लगाए,
चले
छंद की चाल, सोम-रस, पिए-पिलाए,
ज्वार तुम्हारे गीतों का ही
ज्वार जवानी का
बन जाता,
नर-नारी को
रख निमग्नकर,
एक देह कर
एक प्राण कर,
प्यार-प्यार से दिव्य बनाता।

प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने बताया कि केदारजी का यह प्रेम उनके हृदय में अपनी जवानी से लेकर बुढ़ापे तक में समानता से प्रवाह करता रहा।  उन्होंने प्रेम पर इतनी सुंदर रचनाएँ लिखी हैं कि प्रो. ऋषभ देव शर्मा उन्हें महाकवि कालिदास की परम्परा का कवि मानते हैं।

केदार जी के बुढ़ापे के एकाकी जीवन के बारे में बताते हुए प्रो. शर्मा उनकी कुछ कविताओं को उद्धृत करते हैं-

मैं पौधों से,
फूलों से, 
करोटन से भी बात कर लेता हूँ.
पत्नी भी ऐसा ही करती है.

इस एकाकी जीवन की विडम्बना यह है कि ले-देकर आखिर ये ही तो सहृदय उदार कुटुम्बी रह गए है. अब पत्नी ही बच जाती है जो उनकी कविताओं की एकमात्र श्रोता हो जाती है।

प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने केदारनाथ अग्रवाल के कविता संग्रह ‘हे मेरी तुम’ की कई कविताओं को अपने भावपूर्ण स्वर में सुनाया तो सारे श्रोता गदगद हो गए।                     
                              
...लेकिन अपना प्रेम प्रबल है
हम जीतेंगे काल क्रूर को
उसकी चाकू हम तोड़ेंगे
और जियेंगे
सुख दुख दोनों
साथ पियेंगे
काल क्रूर से नहीं डरेंगे-
नहीं डरेंगे-
नहीं डरेंगे॥
******

हे मेरी तुम
वृद्ध हुए हम
क्रुद्ध हुए हम
डंकमार संसार न बदला
प्राणहीन पतझर न बदला
बदला शासन, देश न बदला
राजतंत्र का भेष न बदला
भाव-बोध-उन्मेश न बदला
हाड़-तोड़ भू-भार न बदला।

इस सारगर्भित व्याख्यान के बाद प्रो. गोपाल शर्मा ने केदार और शेक्स्पीयर के जीवन कि असमानता पर प्रकाश डाला कि कैसे केदार अपनी पत्नी का साथ जीवन भर निभाते रहे और उनसे रचना की प्रेरणा लेते रहे।

अध्यक्षीय भाषण में डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि प्रेम तो प्रेम होता है चाहे वह किसी से भी हो... पत्नी से या प्रेयसी से।  शर्त यह है कि यह प्रेम वासना मात्र न हो।

एक कवितामयी शाम बिताने का यह लाभ हुआ कि हम भी घर आकर ‘हे मेरी तुम’ कहने लगे:)

20 टिप्‍पणियां:

  1. इतने सम्मान के लिए बंदा आपका ताउम्र कर्ज़दार रहेगा महोदय.

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  2. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशताब्दी समारोह की रिपोर्ट पढ़ कर आनन्द आ गया...
    आपको हार्दिक बधाई।

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  3. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशताब्दी पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट को हम सभी के साथ साँझा करने के लिए आपका आभार

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  4. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशताब्दी समारोह की रिपोर्ट पढ़ कर बढिया लगा .; आभार !!

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  5. केदार जी की कविताओंमे प्रेम में जो तुम दिखाई देता है
    वह संबोधन उनकी पत्नी के लिए है !
    भाई जी, बहुत कम पत्नियाँ प्रेयसी बन जाती है :)
    बहुत सुंदर पोस्ट अंतिम लाइन बहुत अच्छी लगी !

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  6. पढ़ते पढ़ते आज हृदय में उतरूँगा।
    तुम देखो जब अपनी लय में उतरूँगा।

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  7. ‘हे मेरी तुम'
    इसे कहते हैं साहित्य की जीत ! भासा और वाणी के धनी कवि केदारनाथ अग्रवाल को श्रद्धांजलि !
    प्रेम तो अनंग है ,उसे कहाँ पकड़ा जा सकता है बस अनुभूतियों में ही है!
    प्रो. ऋषभदेव ने उचित ही कवि के इस पहलू को छुआ जो सर्वकालिक ,सर्वत्र है !

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  8. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशताब्दी समारोह की रिपोर्ट पढ़ कर आनन्द आ गया|आभार|

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  9. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट पढ कर बढिया लगा । रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई

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  10. जन्म शताब्दी पर सुन्दर प्रस्तुति...बधाई.
    ________________________
    'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!

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  11. राम-राम जी,
    आपकी एक और बेहतरीन पोस्ट के लिये आभार,
    जैसे आज मणिका का जन्मदिन है,

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  12. बहुत सुंदर पोस्ट अंतिम लाइन बहुत अच्छी लगी !
    आपकी लेखन शैली को नमन कृपया आपना परिचय बिस्तार से दें (यदि आप चाहें )

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  13. क्षमा चाहूँगा वैसे आप जैसी शख्सियत किसी तारीफ़ को मुहताज नहीं है

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  14. केदारनाथ अग्रवाल जी को श्रद्धांजलि !

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  15. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट पढ कर बढिया लगा । रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई

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  16. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट पढ कर बढिया लगा । रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई

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  17. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट पढ कर बढिया लगा । रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई

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  18. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट पढ कर बढिया लगा । रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई

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  19. केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित समारोह की रिपोर्ट पढ कर बढिया लगा । रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई

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  20. Itna jeevant prastuti...aankho ke aage har drishy sajeev ho utha...bahut achchha laga ..kedarnath jee ko istarah dekhana...aabhar....

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आपके विचारों का स्वागत है। धन्यवाद।