रविवार, 20 फ़रवरी 2011

राज्य बहुसंस्कृतिवाद की विफलता.....


हैदराबाद, २० फ़रवरी २०१० :

'हिंदी भारत' चर्चा समूह के चिंतनशील वरिष्ठ सदस्य अनूप भार्गव, अनिल जनविजय, सत्यनारायण शर्मा 'कमल' और चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने 'स्वतंत्र वार्ता' के संपादक राधेश्याम शुक्ल के आलेख  'राज्य बहुसंस्कृतिवाद की विफलता पर छिड़ी बहस' पर गत सप्ताह जो बहु-आयामी विचार-विमर्श किया, उसे 'स्वतंत्र वार्ता' ने आज सम्मानपूर्वक प्रकाशित किया है. वैसे विमर्श अभी चालू है; और स्वयं डॉ.राधेश्याम शुक्ल का एक और आलेख (पिछले आलेख की शृंखला  में) सामने आया है. उसे भी देखा जाएगा. लेकिन पहले इसे देखते चलें.........(ऋ.) 


17 टिप्‍पणियां:

  1. राज्य बहुसंस्कृतिवाद की विफलता पर सभी के विचार महत्वपूर्ण हैं... यह विषय बहुआयामी है। प्रस्तुति के लिए बधाई!

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  2. अनूप भार्गव जी किसी ख़ास "फोबिया" से गर्सित नजर आ रहे है !

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  3. चंद्रमौलेश्वर जी नमस्कार ,
    लेख पढ़ कर अच्छा लगा .

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  4. एक गंभीर मगर रोचक परिवाद -फिर वसुधैव कुटुम्बकम का क्या होगा ?

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  5. फिर वसुधैव कुटुम्बकम का क्या होगा ?

    डॊ. अरविंद मिश्रजी, यब बैनर तो कब का चीन हथिया चुका है... अब तो यही कह रहा है.... सारा जहां हमारा :)

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  6. आप लोगों ने इस चर्चा को सराहा, इससे बल मिला। आप सब का आभार॥

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  7. prasad ji, aapki kahani aajke milap me chhapi hai.bahut bahut badhai.......

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  8. बहुत बहुत बधाई आपको इस इन्टरनेट चर्चा में शामिल होने के लिए ....
    ''स्वतंत्र वार्ता '' क्या ये हैदराबाद से निकलता है ....?

    आपने सही कहा भारत में ही ईसाइयत फैलने की गुजाइश बची है ....
    इसलिए यहाँ विदेशी धन झोंका जा रहा है ....

    "हिंदी-भारत" में भी अग्रसारित होने की बधाई ...

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  9. इस सम्मान के लिए आपको शुभकामनायें भाई जी !! हमें आप पर गर्व है ! हार्दिक शुभकामनायें !!

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  10. इस सम्मान के लिए आपको शुभकामनायें ...
    शायद आपके व्लाग पर पहली बार आया हूँ | लगता है बहुत देर हुई आने में वह भी हैदराबाद में रहते

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  11. इस परिचर्चा में भाग लेना, एक प्रतिष्ठित अखबार में आपका भाग लेना मेरी नज़र में एक सम्मान ही है !शुभकामनायें आपको !

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आपके विचारों का स्वागत है। धन्यवाद।