एक अनुमान के अनुसार सन् २०५० ई. तक विश्व की जनसंख्या साढे़-नौ सौ करोड़ हो जाएगी। इतनी बडी़ जनसंख्या के लिए अन्न, ऊर्जा एवं आम सुविधाएं जुटाना एक चुनौतिपूर्ण कार्य होगा। आज की जनसंख्या लगभग सात सौ करोड़ है। ऐसे में यदि जनसंख्या पर नियंत्रण पाना हो तो निश्चय ही विश्व भर की महिलाओं को- खास कर पिछडे़ देशों की महिलाओं को सुशिक्षित करना आवश्यक है।
आज स्थिति यह है कि फ़्रांस, रूस, अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों की जनसंख्या वृद्धि दर लगभग शून्य है जबकि विकासशील तथा पिछडे़ देशों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे देशों में एशिया और अफ़्रिका के देश सब से आगे हैं। भारत, सोमालिया, सुडान जैसे देश गरीबी से जूझते हुए भी जनसंख्या वृद्धि के मामले में आगे हैं।
इस बढ़ती वृद्धि के कारणों के शोध से पता चला कि मुख्यतः महिलाओं का अशिक्षित होना तथा परिवार नियोजन की अज्ञानता कारण हैं। अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम देशों में महिलाओं का दमन भी एक कारण बताया गया है। शिक्षा के लिए वैसे तो इन देशों में मदरसे खोले गए हैं पर इनमें परिवार नियोजन जैसी बातें तो नहीं सिखाई जातीं। दूसरे, इन देशों की महिलाओं के लिए शिक्षा लगभग वर्जित ही है। हाल ही में अफ़गानिस्तान का एक विधेयक महिला दमन का एक सटीक उदाहरण है जिसमें कहा गया है कि जो कोई स्त्री अपने पति को सम्भोग से मना करती है या अपने पति की आज्ञा के बिना घर से निकलती है, उसका खान-पान बंद कर दिया जा सकता है।
अमेरिका की अरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रो. लॉरेंस एम. क्रॉस का मानना है कि जब तक विश्व की महिलाओं को गरीबी, मज़हबी आतंक और अशिक्षा के चुंगुल से नहीं निकाला जाएगा, तब तक जनसंख्या की समस्या विश्व के सामने मुँह बाए खड़ी रहेगी।
प्रसाद जी, बात आपने बहुत वजनी उठायी थी मगर जो इस वृद्धि के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार है , वे तो रोज लडकियों के स्कूलों को उड़ा रहे है बमों से, फिर कैसे यह संभव होगा ?
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर व सशक्त लेख......
जवाब देंहटाएंdhnya ho !
जवाब देंहटाएंbahut hi saarthak aalekh.........
badhaai !
पता चला है की और १५ साल में हम चाइना को पार कर जायेंगे।
जवाब देंहटाएंयानि कम से कम इस मामले में तो हम विकसित देशों को दोष नही दे सकते।
पर है कोई जो सुन रहा हो ?
वैसे वृद्धी दर का धर्म से बहुत ज्यादा सम्बन्ध नही पाया गया है, भले ही ऐसा लगता हो।
सही कहा आपने . वैसे जो हालत आजकल महगाई के चल रहे हैं लगता है भूख से ही जनसँख्या कम हो जाएगी
जवाब देंहटाएंसुशिक्षित होना सशक्त होना भी है,
जवाब देंहटाएंइसीलिये तो कुशिक्षित करने पर जोर है ,मान्यवर!
बात सो प्रतिशत आप की सही हैं पर जब शिक्षित हो जायेगी तो वो अपनी शिक्षा को केवल जनसंख्या की समस्या के लिये ही नहीं उपयोग मे लायेगी । फिर वो सशक्तिकरण की बात करेगी , बराबरी की बात करेगी । अपने पहनावे पर टीका टिप्पणी नहीं सहेगी जो आपके सो कोल्ड भारतीये सभ्यता और संस्कारों के हिमायतियों को नहीं हज़म होगी । शिक्षा के अपने "दुर्गुण " भी हैं । वो हमारे अन्दर एक जागरूकता ला टी हैं और २०१० मे नारी जागरूकता किसी कोई नहीं चाहिये क्युकी नारीत्व के साथ जागरूकता का क्या सम्बन्ध हैं ??? और बराबरी तो किसी कोई भी पसंद नहीं होती नारी की सो उसको अशिक्षित रखना ही सबके हित मे हैं
जवाब देंहटाएंइस पर तो कोई विवाद ही नहीं कि प्रगति करनी है तो मां को शिक्षित करना होगा।
जवाब देंहटाएंजब नारी की शिक्षा का ऐसा बेतुका अर्थ लगाने वाले नारी वर्ग के सहयोगी होने का दावा करते हों तो नारियों को किसी विरोधी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
जवाब देंहटाएंआपकी बात जितनी सदाशय से परिपूर्ण लगी उसमें भी छिद्र ढूँढ लेना कमाल की प्रतिभा दर्शाता है।