गुरुवार, 3 सितंबर 2009

नन्हें मुक्तक

आज रस परिवर्तन के लिये ताजा़ नन्हें मुक्तक प्रस्तुत हैं :



[१]

पांडु या कुरु
किसने किया शुरु
महाभारत युद्ध
कहो मेरे गुरु


[२]

बडा़ करे मैय्या
खेले बहन भैय्या
पत्नी मिल गई
नाते छोड़े सैंय्या


[३]

तुम चल तो दी
यह बता दो सखी
क्या करूं वो गुड्डी
थी तुम ने दी


[४]

सुनो मेरे बाप
मुझे बताएँ आप
दुख कैसे झेलूँ
मुझे मिला संताप

11 टिप्‍पणियां:

  1. छोटे-छोटे छंदों के जरिये बहुत गूढ़ बाते कह डाली आपने !
    सुनो मेरे बाप
    मुझे बताएँ आप
    दुख कैसे झेलूँ
    मुझे मिला संताप

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  2. कुछ व्यंग्य कुछ हास
    अच्छा प्रयास
    रंग ला रहा है
    कलम का अभ्यास

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  3. बहुत सुंदर प्रस्‍तुति। मन अति प्रसन्‍न हुआ।

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  4. अगे बाप गे........ई सड़सठ बरस का तोप में पच्चीस बरस वाला गोला.....तभ्भे तो हम बोला.....अगे बाप गे......!!

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  5. आप के मुक्तकों ने मन मोह लिया...वाह...बहुत बहुत बधाई....

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आपके विचारों का स्वागत है। धन्यवाद।