tag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post7361190546257742331..comments2024-03-17T19:07:52.863+05:30Comments on कलम: मुद्दाचंद्रमौलेश्वर प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-6753460329928646462011-09-18T10:38:22.595+05:302011-09-18T10:38:22.595+05:30सारगर्भित लेख ......सारगर्भित लेख ......निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-66802899356903000022011-09-17T16:43:45.204+05:302011-09-17T16:43:45.204+05:30एक तथ्यपरक दिशा निर्देशक चिंतन ...एक तथ्यपरक दिशा निर्देशक चिंतन ...Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-54976630688557726172011-09-17T12:02:09.531+05:302011-09-17T12:02:09.531+05:30बहुत सार्थकबहुत सार्थकAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14612724763281042484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-47996623498502880782011-09-17T11:03:44.872+05:302011-09-17T11:03:44.872+05:30कांग्रेस की कूटनीति रही है कि जिससे उसे सबसे ज्या...कांग्रेस की कूटनीति रही है कि जिससे उसे सबसे ज्यादा खतरा हो उसका चरित्रहनन करो। इसी कारण आजादी के पूर्व ही उसे अंग्रेजों ने समझा दिया था कि यह राष्ट्रवादी संगठन तुम्हें तारे दिखा सकता है, इसकारण आज इतना विषवमन किया जा रहा है। अन्नाहजारे जी का बारबार यह कहना कि मेरा उनसे कोई सम्बंध नहीं है, दिल को ठेस पहुंचाता है। जब देश का प्रत्येक नागरिक और संस्थाएं उनके साथ खड़ी थी तब उन्हें यही कहना चाहिए था कि मुझे उन सभी का समर्थन प्राप्त है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। नकारात्मकता से कभी भी बात नहीं बनती, आखिर संघ के अनुयायियों को ठेस तो लगी ही है। आज उनके आंदोलन को यदि भाजपा का खुला समर्थन नहीं मिलता तो इस आंदोलन की हवा निकल जाती। लेकिन दुख होता है जब किरण बेदी यह कहती हैं कि आंदोलन का टर्निंग पोइंट था जब मुझे अडवाणीजी का फोन आया और उन्होंने कहा कि "बेटी आज होगा", इसे भी उनके अन्य सहयोगियों ने नकार दिया। <br />जो भी संगठन राजनीति में उतरते हैं, उनमें कमियां होती ही हैं लेकिन किसी को भी अछूत बना देना देश के लिए घातक है। इससे आपसी संवाद समाप्त होता है और केवल प्रहार शेष रह जाते हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-11077539677498294652011-09-17T09:01:22.665+05:302011-09-17T09:01:22.665+05:30अच्छा प्रश्न है। निहित स्वार्थों की नफ़रत और दोस्त...अच्छा प्रश्न है। निहित स्वार्थों की नफ़रत और दोस्ती सब मौके के हिसाब से बदलती रहती है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-38179605263953377792011-09-16T22:21:38.956+05:302011-09-16T22:21:38.956+05:30छूत अछूत के बहुत ऊपर है देश का हित।छूत अछूत के बहुत ऊपर है देश का हित।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-91027424447559939282011-09-16T22:04:43.135+05:302011-09-16T22:04:43.135+05:30Great analysis Sir ! I fully agree with you in thi...Great analysis Sir ! I fully agree with you in this regard.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-23704263604252073422011-09-16T20:13:35.363+05:302011-09-16T20:13:35.363+05:30अत्यंत तथ्यपरक एवं सारगर्भित लेख ...अच्छा विश्लेण ...अत्यंत तथ्यपरक एवं सारगर्भित लेख ...अच्छा विश्लेण किया है आपने...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-73584529854947497932011-09-16T18:09:10.488+05:302011-09-16T18:09:10.488+05:30सटीक छिद्रान्वेषण ,लालबुझ्क्कर बुझे तब न.सटीक छिद्रान्वेषण ,लालबुझ्क्कर बुझे तब न.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-81898297364635423502011-09-16T17:39:11.806+05:302011-09-16T17:39:11.806+05:301. विदेशी आक्रांताओं का दिया हुआ नाम स्वीकार्य नही...<b>1. विदेशी आक्रांताओं का दिया हुआ नाम स्वीकार्य नहीं होना चाहिए जबकि वेद महान में ऋषिगण इस जाति का नामकरण पूर्व में ही कर चुके हैं।<br />नाम रखने का अधिकार केवल बाप को या दादा आदि को होता है।<br />विदेशी आक्रांता भारतीय जाति का नाम बदल दें और यहां कि आर्य विद्वान उस नाम को शिरोधार्य भी कर लें, यह तो आत्मविस्मृति की इंतेहा है।<br /><br />2. विदेशी आक्रांताओं से पहले भी यहां जातिगत नफ़रतें कूट कूट कर भरी हुई थीं।<br /><br />3. जहां द्वारपाल को कुछ देना लाज़िमी हो, वहां कुछ और मिलता है जिसे ईश्वर कह दिया जाता है लेकिन वह ईश्वर नहीं होता।<br /><br />4. ‘आरएसएस से इतनी नफ़रत क्यों ?‘<br />यह सवाल वाक़ई एक मासूम सवाल है।</b>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-85582854136503904542011-09-16T16:26:14.105+05:302011-09-16T16:26:14.105+05:30बढिया है।
सहमतबढिया है।<br />सहमतमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.com