tag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post4953953717085119069..comments2024-03-17T19:07:52.863+05:30Comments on कलम: प्रिंसिपल परशुरामचंद्रमौलेश्वर प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-70286088249978119172011-06-16T12:05:59.636+05:302011-06-16T12:05:59.636+05:30समीक्षा पढी । धन्यवादसमीक्षा पढी । धन्यवादBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-57328616567079376112011-06-16T11:11:27.447+05:302011-06-16T11:11:27.447+05:30पुस्तक परिचय के लिए आभार!पुस्तक परिचय के लिए आभार!Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-47521583515110386642011-06-16T00:03:35.244+05:302011-06-16T00:03:35.244+05:30सार्थक बहुत सटीक समीक्षा .आभार .जातिवाद की अमर बेल...सार्थक बहुत सटीक समीक्षा .आभार .जातिवाद की अमर बेल ही फल फूल रही है क्षेत्र वाद की राजनीति में .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-13634119112582674372011-06-15T19:19:52.767+05:302011-06-15T19:19:52.767+05:30पुरस्कार भी.
पाठ्यक्रम में भी.
एम फिल - पीएच डी भी...पुरस्कार भी.<br />पाठ्यक्रम में भी.<br />एम फिल - पीएच डी भी.<br /><br />ऊपर से यह समीक्षा.<br /><br />एक हिंदीतरभाषी हिंदी लेखक को भला और चाहिए ही क्या!!!RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-8037855996312306532011-06-15T12:52:15.809+05:302011-06-15T12:52:15.809+05:30ऐसे प्रिंसिपल यत्र तत्र सर्वत्र बिखरे हुए मिल जाये...ऐसे प्रिंसिपल यत्र तत्र सर्वत्र बिखरे हुए मिल जायेंगे।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-42607446949287613522011-06-15T08:35:20.163+05:302011-06-15T08:35:20.163+05:30मन का स्वार्थ नंगा नाच नाचता है, दोष परम्पराओं को ...मन का स्वार्थ नंगा नाच नाचता है, दोष परम्पराओं को दिया जाता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-41732587977956248102011-06-15T04:59:59.211+05:302011-06-15T04:59:59.211+05:30पुस्तक परिचय के लिए आभारपुस्तक परिचय के लिए आभारArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-84821887334780887812011-06-14T22:19:54.538+05:302011-06-14T22:19:54.538+05:30पुस्तक का विषय अच्छा है... समीक्षा भी आपकी जानदार ...<i><br />पुस्तक का विषय अच्छा है... समीक्षा भी आपकी जानदार है पर..<br />मुझे नाटक पढ़ने में बड़ी उलझन होती है, जब तक इप्टा में सक्रिय रहा.. शायद स्क्रिप्ट सुधारते सुधारते यह एलर्ज़ी हुई हो !<br />उफ़.. खुज़लीऽऽऽऽऽ .....:)<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-14463317341529382912011-06-14T20:51:05.729+05:302011-06-14T20:51:05.729+05:30आचार्य का बेटा ‘पार्ट-टाइम’ कैसे कहलाए! इसलिए ‘उन्...आचार्य का बेटा ‘पार्ट-टाइम’ कैसे कहलाए! इसलिए ‘उन्हें वेतन ज्यादा ही देंगे और विज़िटिंग प्रोफ़ेसर कहेंगे।’<br />बहुत विस्तार से की है समीक्षा नाटक का विषय भी सही चुना, आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-83222076388873363632011-06-14T20:47:43.127+05:302011-06-14T20:47:43.127+05:30अब भी समाज में कई कुप्रथाएं बदस्तूर जारी हैं.........अब भी समाज में कई कुप्रथाएं बदस्तूर जारी हैं...... अच्छा विषय लिए पुस्तक .... सुंदर समीक्षा आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com