tag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post2155464857438713823..comments2024-03-17T19:07:52.863+05:30Comments on कलम: मणिपुर हिंदी परिषद-३चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-84093992704807910252011-07-11T11:15:00.211+05:302011-07-11T11:15:00.211+05:30कलम की तालकलम की तालSHAYARI PAGEhttps://www.blogger.com/profile/01709899449717580329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-86246646476229242872011-07-06T18:16:00.876+05:302011-07-06T18:16:00.876+05:30उत्साहवर्द्धक जानकारी....उत्साहवर्द्धक जानकारी....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-51473629648725682932011-07-06T07:28:46.228+05:302011-07-06T07:28:46.228+05:30सार्थक जानकारी , आँखें खोलने में सक्षम आभारसार्थक जानकारी , आँखें खोलने में सक्षम आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-77031376183887338032011-07-05T21:22:11.735+05:302011-07-05T21:22:11.735+05:30धन्यवाद मित्र, पर...
मैं इतना भी आदरणीय नहीं हूँ, ...<i><br />धन्यवाद मित्र, पर...<br />मैं इतना भी आदरणीय नहीं हूँ, कि आप सरे-आम यह कहते फिरें :)<br />मणिपुर में हिन्दी के स्थापना और विकास की यह ऋँखला निश्चय ही ज्ञानवर्धक है, साथ ही इसको सामने लाने में आपका निस्वार्थ श्रम प्रशँसनीय है ।<br />मेरी अपेक्षा यह थी कि हिन्दी प्रसार के प्रयासों में मूल मणिपुरी समाज की क्या प्रतिक्रिया रही ? क्या उन्होंने इसे नार्थ के कॉलोनिज़्म के रूप में तो नहीं लिया... मुझे आशँका है कि ऎसा हुआ होगा ।<br />वहाँ मूलतः उत्तर भारत की भाषा हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित किये जाने को लेकर लोगों में कैसी भावना है ? हिन्दीभाषी क्षेत्र में जन्म लेने और मातृभाषा हिन्दी होने से मुझे हिन्दी के प्रसार से हर्ष ही होता है, किन्तु इसे राष्ट्रभाषा मान लिये जाने से मैं पूर्णतः सहमत नहीं हो पाता..... इस नीति ने लोगों को भड़काया ही है, कई जगह उन्होंनें हिन्दी को गले नहीं लगाया बल्कि मज़बूरी में अपनाया है !<br />इँडिया एज़ अ स्टेट राष्ट्रभाषा सत्ताधीशों की मातृभाषा ही रही है... मसलन पहले फारसी, फिर अँग्रेज़ी और अब हिन्दी... दूसरी तरफ<br />इँडिया एज़ अ कन्ट्री देखें तो हिन्दी जनभाषा तो दूर सम्पर्क-भाषा भी नहीं बन पायी है । अतः हमें हिन्दी के प्रसारनीति और भाषाई आधार पर प्रान्तों के निर्धारण किये जाने दुबारा सोचना चाहिये ।<br />राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी प्रश्रय और नीतियों के चलते ही हिन्दी राष्ट्रभाषा.. जनभाषा और सम्पर्क-भाषा के बीच ही कहीं झूल रही है ।<br /><br />हिन्दी की सेवा करना मज़ाक का एक विषय रह गया है ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-39417939411111767792011-07-05T08:13:47.178+05:302011-07-05T08:13:47.178+05:30हिन्दी सेवा में रत इन संस्थाओं को ढेरों साधुवाद।हिन्दी सेवा में रत इन संस्थाओं को ढेरों साधुवाद।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2812607268812599233.post-69659438558699442042011-07-05T06:41:34.327+05:302011-07-05T06:41:34.327+05:30हिन्दी पट्टी से इतर हिन्दी के प्रचार प्रसार पर यह ...हिन्दी पट्टी से इतर हिन्दी के प्रचार प्रसार पर यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है -आभार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com